नहीं रहे शायर गगन भारती, साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि
लव इंडिया, मुरादाबाद । शायरी के जरिए सामाजिक विसंगतियों के खात्मे को जागरूक करने वाले शायर गगन भारती का आज निधन हो गया। वह लगभग 75 वर्ष के थे । पिछले कई माह से वह कैंसर से जूझ रहे थे। वह अपने पीछे पत्नी, एक सुपुत्री और दो सुपुत्रों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन पर वाट्स एप समूह “ साहित्यिक मुरादाबाद” में शोक सभा का आयोजन किया गया।
समूह प्रशासक डॉ मनोज रस्तोगी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया गगन भारती का वास्तविक नाम सैयद इकराम -उर – रहमान शाह है। उनका जन्म उस साल हुआ जिस साल देश ने अंग्रेजों की दासता की बेड़ियों से मुक्त होकर आजादी की सांस ली थी। क्रांतिकारियों की धरती मेरठ में क्रिसमस के दिन 25 दिसंबर को उन्होंने जन्म लिया। उनके वालिद सैयद हबीब उर रहमान शाह उस वक्त फैज -ए-आम इंटरमीडिएट कॉलेज मेरठ में अंग्रेजी प्रवक्ता थे। प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में हुई । हाई स्कूल सन 1963 में मेरठ से किया और उसके बाद वह मुरादाबाद आ गए। मनोविज्ञान और उर्दू में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल कर बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में उन्होंने आजीविका शुरू की। आपकी वालिदा श्रीमती जुबेदा खातून की न केवल उर्दू अदब में रुचि थी बल्कि वह शेर भी कहती थीं । उन्हीं की प्रेरणा से सैयद इकराम -उर – रहमान शाह ने भी शेर कहने शुरू कर दिए। सन 1961 में उन्होंने अल्लामा कैफ मुरादाबादी से इस्लाह लेनी शुरू कर दी और गगन भारती उपनाम रख बाकायदा शायरी के क्षेत्र में उतर गए। उनकी एक काव्य कृति उर्दू में प्रकाशित हो चुकी है। इस कृति में उनकी 15 गजलें, 23 नज्में और 9 शेर हैं।
डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का वैचारिक चिंतन गगन जी की शायरी में साकार रूप लेता हुआ दिखाई देता है। वह समाज में बदलाव चाहते थे । मजहब, जाति, वर्ग वाद ,भाषावाद से ऊपर उठकर सिर्फ और सिर्फ इंसानियत से मुहब्बत करते थे। मानव प्रेम उनकी विचारधारा का मूल केंद्र बिंदु था ।
आगरा के साहित्यकार ए टी ज़ाकिर ने कहा कि गगन भारती बेहतरीन शायर होने के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी थे। उनके निधन से उर्दू साहित्य की भारी क्षति हुई है।
डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि मुशायरों में तहद में पढ़कर अलग ही समां बाँधने वाले शायर थे,गगन भारती। नज़्म के एक अलग ही शायर। बेहतरीन लिखते थे और बेहतरीन पढ़ते थे।
यश भारती माहेश्वर तिवारी, डॉ अजय अनुपम, मंसूर उस्मानी, योगेंद्र वर्मा व्योम,राजीव प्रखर, धन सिंह, धन सिंह धनेंद्र,संदेश पवन त्यागी, पूजा राणा अनुराग रोहिला, डॉ अर्चना गुप्ता, ओंकार सिंह विवेक, नृपेंद्र शर्मा सागर,मीनाक्षी ठाकुर, अशोक विश्नोई, डॉ पुनीत कुमार, नकुल त्यागी, विवेक आहूजा, वीरेंद्र सिंह बृजवासी, राशि सिंह, त्यागी अशोक कृष्णम, विनीता चौरसिया, रवि प्रकाश, शिशुपाल मधुकर, वैशाली रस्तोगी जकार्ता, फरहत अली खान, शशि त्यागी, कमाल जैदी राशिद हुसैन आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।