OBC की 18 जातियों को SC में शामिल करने के High Court ने नोटिफिकेशन किए रद्द और सरकार को फटकारा

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उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की 18 जातियों को अनुसूचित वर्ग (18 castes of OBC )यानि एससीकी कैटेगरी में शामिल करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले में जारी यूपी सरकार के सभी नोटिफिकेशन को रद्द (cancel all notifications) कर दिया है। मालूम हो कि अखिलेश यादव और योगी सरकार (Akhilesh Yadav and Yogi Sarkar) ने अपने कार्यकाल में दो-दो नोटिफिकेशन जारी कर यूपी में ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने का फरमान जारी किया था।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिवीजन बेंच ने सभी नोटिफिकेशन रद्द कर दिए हैं। कोर्ट ने इन सभी नोटिफिकेशन के अमल होने के पहले ही रोक लगा रखी थी। गोरखपुर की संस्था डॉ. भीमराव अंबेडकर ग्रंथालयएवं जन कल्याण समिति (Dr. Bhimrao Ambedkar Library and Public Welfare Committee) ने दाखिल की थी, दो जनहित याचिकाएं संविधान में केंद्र व राज्य सरकारों को ऐसा फैसला लेने का कोई संवैधानिक अधिकार न होने के आधार पर हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशनरद्द किए।

कोर्ट ने सरकार के कामकाज को लेकर की तल्ख टिप्पणी

अदालत ने अपने फैसले में सरकार के कामकाज को लेकर तल्ख टिप्पणी भी की है। संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत अनुसूचित वर्ग की सूची में बदलाव का अधिकार सिर्फ और सिर्फ देश की संसद को है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों को इस सूची में बदलाव का कोई अधिकार संविधान ने नहीं दिया है। संवैधानिक अधिकार नहीं होने के बावजूद यूपी में सियासी फायदे के लिए बार-बार अनुसूचित जातियों की सूची में फेरबदल किया जा रहा था। यूपी सरकार ने आज हाईकोर्ट में खुद हलफनामा दाखिल कर यह कहा कि उसके पास इस नोटिफिकेशन को जारी रखने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। एडवोकेट जनरल अजय मिश्रा की तरफ से पेश की गई। इस दलील के आधार पर ही हाईकोर्ट ने याचिकाओं को मंजूर किया। हाईकोर्ट ने याचिका में जो प्रमुख मांग की गई थी, उसे मंजूर करते हुए सारे नोटिफिकेशन रद्द किए।

2016 में अखिलेश और 2019 में योगी सरकार ने दिया था ये आदेश

जानकारी के मुताबिक पूर्व में अखिलेश सरकार की ओर अन्य पिछड़ा वर्ग की 18 जातियों (मझवार, कश्यप, मल्लाह, धीवर, धीमान, बिंद, भर, राजभर, कहार, निषाद, केवट, कुम्हार, बाथम, तुरहा, प्रजापति, गोडिया, मांझी और मछुआ) Majwar, Kashyap, Mallah, Fisherman, Dhiman, Bind, Bhar, Rajbhar, Kahar, Nishad, Kevat, Kumhar, Batham, Turha, Prajapati, Godiya, Manjhi and Fisherman) को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबित उस दिन अखिलेश सरकार का आखिरी दिन था। इसके बाद योगी सरकार की ओर से इन सभी 18 जातियों के लिए फिर से नोटिफिकेशन जारी किया गया था।अखिलेश यादव सरकार ने 21 और 22 दिसंबर 2016 को यूपी में विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले दो नोटिफिकेशन जारी कर ओबीसी की 18 जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शिफ्ट करने का आदेश जारी किया था। कुछ ही दिनों बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन दोनों नोटिफिकेशन से अमल होने पर रोक लगा दी थी. 24 जून 2019 को योगी सरकार ने हाईकोर्ट के एक फैसले का गलत संदर्भ लेते हुए नोटिफिकेशन जारी किए थे. योगी सरकार ने भी ओबीसी की डेढ़ दर्जन जातियों को एससी की सूची में शामिल करने का आदेश जारी किया था.योगी सरकार का यह आदेश भी हाईकोर्ट से स्टे हो गया था। इससे पहले साल 2005 में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने भी डेढ़ दर्जन जातियों को एससी की सूची में शामिल करने का फैसला किया था. हाईकोर्ट ने उस फैसले पर भी रोक लगा दी थी. बाद में यूपी सरकार ने उस फैसले को वापस ले लिया था. ओबीसी की जातियों का वोट बैंक हासिल करने के लिए यूपी में संवैधानिक अधिकार न होने के बावजूद राज्य सरकार लगातार इस तरह के फैसले ले रही थीं. यूपी सरकार की ओर से पांच साल बाद भी काउंटर एफिडेविट नहीं दाखिल किया गया था।

संसद को है इसका अधिकार

इसके बाद जनवरी 2017 को हाईकोर्ट ने इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी। वहीं याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा था कि किसी भी जाति को किसी भी वर्ग में शामिल करने का अधिकारी सिर्फ देश की सर्वोच्च पंचायत यानी संसद को होता है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अखिलेश सरकार ने नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया था कि इनके नए जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने जनवरी 2017 को इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी।

इन जातियों के लिए जारी हुआ था नोटिफिकेशन

हाई कोर्ट ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी करने वाले प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा था. ओबीसी की वह जातियां जिन्हें एससी में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था, उसमें मझवार, कहार, कश्यप, केवट,मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा गोडिया, मांझी और मछुआ शामिल है।

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