सनातन धर्म और संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ: राम मंदिर की टाइमलाइन कुछ इस प्रकार है…..
महर्षि मनु के बड़े पुत्र इक्ष्वाकु अयोध्या को बसाते हैं और विश्व की पहली नगरीय सभ्यता विकसित होती है। इक्ष्वाकु ही सूर्यवंश के संस्थापक थे, इसी सूर्यवंश में भागीरथ, हरिश्चंद्र, अरण्य, रघु और श्री राम जैसे राजाओं का जन्म होता है।
श्री राम सबसे अधिक लोकप्रिय हुए। उनका शासन भारत का सबसे बड़ा स्वर्णिम काल था। आगे चलकर सूर्यवंशियों का पतन होता है और चंद्रवंशी केंद्र सत्ता में आ जाते हैं ।इसी के साथ अयोध्या का महत्व समाप्त होकर हस्तिनापुर को चला जाता है।
सदियों तक अयोध्या रहस्य बनकर रह गई थी, लेकिन 90 ईसा पूर्व उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य कुछ साधुओं की मदद से अयोध्या का पता लगाते हैं और उसे मात्र 84 कोस में फिर से बसाते हैं और तब श्री राम का भव्य मंदिर बनता है।
1281 तक यह मंदिर खड़ा रहा और आखिरकार इस्लामिक आक्रमणकारी बलबन ने इसे थोड़ा ध्वस्त किया। इस्लामिक शासन के दौरान हिंदुओ को मंदिर जाने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती थी, इसलिए ये जगह एक बार फिर वीरान पड़ गई।
1527 में जब बाबर का सेनापति मीर बांकी अयोध्या आया तो उसने मंदिर का शिखर गिरा दिया और मंदिर के स्तंभों पर ही मस्जिद तान दी। बाबर को खुश करने के लिए इसे बाबरी मस्जिद का नाम मिला। 1739 में जब मुगल सल्तनत कमजोर हुई तो कुछ सिख यहाँ आए और यज्ञ किया लेकिन स्थानीय मुसलमानो ने उन पर हमला कर दिया।
1853 में पहली बार हिंदुओ ने अपने अधिकार की आवाज उठाई और दंगे हुए। अंग्रेजो ने इस ढांचे को सील कर दिया, 1949 में ढांचे की मुख्य गुंबद के नीचे राम की मूर्ति प्रकट हुई। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मूर्ति हटाने का आदेश दिया लेकिन उस समय के कलेक्टर ने साफ मना कर दिया और ये एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट था।
इस जगह समझ आ गया की कांग्रेस हिंदुओ की सगी नही हो सकती, 1984 तक आंदोलन बहुत तेज हो गए। 1986 में कोर्ट के आदेश पर राजीव गांधी ने मंदिर के ताले खुलवाए, ढांचे के अंदर मुसलमान नमाज पढ़ते और राम अपने ही महल के एक चबूतरे पर 74 वर्षो तक बैठे रहे।
1990 में अयोध्या गए रामभक्तो की तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बेरहमी से हत्या करवा दी। आजाद भारत का ये पहला शासकीय हत्याकांड था। इसके बावजूद बाद में भी मुलायम सिंह कई बार मुख्यमंत्री बना।
1992 में आखिरकार बीजेपी और शिवसेना के नेतृत्व में हिंदुओ ने यह ढांचा तोड़ दिया। उस समय तक उत्तरप्रदेश में मुलायम की जगह बीजेपी की सरकार आ चुकी थी। तब से 2011 तक कोर्ट में संघर्ष होता रहा। 2011 में हाईकोर्ट ने भूमि का बंटवारा कर दिया जिसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला हिंदुओ के पक्ष में सुनाया और आज जो है आपके सामने है।
इस पूरे प्रकरण में 2014 के चुनाव की भी अपनी भूमिका है, कांग्रेस के मन में एक डर यह भी था कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया तो बीजेपी फायदे में रहेगी, और यदि विरुद्ध सुनाया तो कांग्रेस वैसे ही डूब जाएगी। इसलिए कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल राम मंदिर के खिलाफ मैदान में आ गए।
2019 तक कांग्रेस ने इसे अटकाया मगर अंत में विजय हिंदुओ की हुई। पहले तुर्कियो की सल्तनत, फिर मुगल सल्तनत और फिर कांग्रेस, हिंदुओ ने अपने तीन दुश्मनों को धूल चटाकर 22 जनवरी 2024 का गर्व प्राप्त किया है।
इसके अलावा वाल्मिकी की रामायण, कालिदास के रघुवंशम और तुलसीदास की रामचरितमानस का भी आभार मानना होगा, क्योंकि अदालत में बार बार इनका रिफरेंस ही इस युद्ध में काम आया। ये दिन बहुत बलिदानों से मिला है, इसका सम्मान करें।