ईश्वर की भक्ति और सेवाभाव ने बना दिया संत शिरोमणि

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Rajasthan :हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी पूरे देश में संत रविदास बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानी माघ महीने की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास का जन्म हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार, भारत देश में कई महान संत और कवि हुए हैं। लेकिन, संत रविदास उन महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को आत्मज्ञान, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। संत रविदास से प्रभावित होकर ही कई लोग भक्ति के मार्ग से जुड़े।

गुजरात तथा राजस्थान के कई बड़े नेता महान संत गुरु रविदास जी की जयंती के उपलक्ष्य में स्वदेसी माइक्रोब्लॉगिंग मंच, कू के माध्यम से शुभकामनाएँ दे रहे हैं।

इसी बीच गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री, भूपेंद्र पटेल ने कू करते हुए कहा है:

समाज में हमेशा समानता और भाईचारे का उपदेश देने वाले भक्ति आंदोलन के महान संत गुरु रविदास जी की जयंती पर आप सभी को अनंत शुभकामनाएं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

वहीं, राजस्थान के माननीय मुख्यमंत्री, अशोक गेहलोत कू करते हुए कहते हैं:

महान संत गुरु रविदास जी की जयंती पर सादर नमन। उन्होंने जीवनपर्यंत मानव सेवा को लक्ष्य बनाए रखा, सामाजिक समानता, एकता और समता का संदेश दिया। हमें उनकी शिक्षाओं और मूल्यों को आत्मसात कर सभी की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए।

केंद्रीय संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री, भारत सरकार।। एमपी- बीकानेर, राजस्थान- अर्जुन राम मेघवाल ने कू के माध्यम से कहा:

संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती पर दिल्ली के श्री गुरु रविदास विश्राम धाम में भजन कीर्तन में लीन प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी

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संचार मंत्रालय के राज्य मंत्री देवसिंह चौहान कू करते हुए कहते हैं:

संत शिरोमणि गुरू रविदास जी की जयंती पर कोई कोटी नमन

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कू पर शुभकामनाएँ दी हैं, जिसके माध्यम से उन्होंने कहा है:

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।
सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और अंधविश्वास के विरुद्ध अपने आध्यात्मिक ज्ञान से मानवता का कल्याण करने वाले, महान संत तथा समाज सुधारक गुरु रविदास जी की जयंती पर उन्हें मेरा कोटिशः नमन।

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आज का महत्व

संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। इस दिन संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में उनके जन्म स्थान पर एकत्रित होकर भजन कीर्तन करते हैं। रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। संत रविदास को रैदासजी के नाम से भी जाना जाता है। संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे।

‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ विचार के जन्मदाता

संत रविदास जी के द्वारा कहा गया यह कथन- ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ सबसे ज्यादा प्रचलित है, जिसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं, उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है।

नाम में है सम्मान

देश में संत रविदास का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। भारतीय भक्ति आंदोलन के अगुआ संतों में उनकी गिनती होती है। उत्तर भारत में उन्होंने समाज में सम भाव फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। वे न केवल एक महान संत थे, बल्कि एक कवि, समाज सुधारक और दर्शनशास्त्री भी थे। निर्गुण धारा के संत रविदास की ईश्वर में अटूट श्रद्धा थी। समाज में भाईचारा और बराबरी का संदेश प्रसारित करने में उनका बड़ा योगदान रहा।

कभी चमड़े के जूते बनाते थे रविदास

संत रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में माता कालसा देवी और बाबा संतोख दासजी के यहाँ हुआ था। हालाँकि, उनके जन्म की तारीख को लेकर कुछ विवाद हैं, लेकिन माघी पूर्णिमा के दिन उनका जन्म माना जाता है। संत रविदास का पूरा जीवन काल 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच (1450 से 1520 तक) माना जाता है।

संत रविदास के पिता मल साम्राज्य के राजा नगर के सरपंच थे और चर्मकार समाज से थे। वे जूते बनाने और उसकी मरम्मत का कार्य करते थे। शुरुआती दिनों में रविदास भी उनके काम में हाथ बंटाते थे। रविदास को बचपन से ही सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा और उन्होंने काफी संघर्ष झेला। हालाँकि, वे बचपन से ही बहुत बहादुर थे और ईश्वर के बड़े भक्त थे। उन्होंने भले ही काफी भेदभाव झेला, लेकिन हमेशा दूसरों को प्रेम का पाठ पढ़ाया। आपस में प्रेम करने की शिक्षा और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही संत रविदास कहलाए। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रेरणादायक हैं।

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