शराब कारोबारी Harbhajan Chaddha के बेटे-पोते समेत 4 के खिलाफ FIR, इसमें पत्नी और बहू का भी नाम

लव इंडिया, मुरादाबाद। फर्जी दस्तावेजों से ठगी के आरोप में नामी शराब कारोबारी हरभजन चड्ढा के बेटे-पोते समेत 4 के खिलाफ FIR दर्ज हुई है। सिविल लाइंस थाने में दर्ज रिपोर्ट में हरभजन चड्ढा की पत्नी और बहू का भी नाम भी शामिल है।

रिपोर्ट गोपाल मिश्रा पुत्र स्व. देवकी नन्दन मिश्रा निवासी कटघर गाडीखाना, मुरादाबाद हाल निवासी पता कृष्णा कालोनी , मकान नं. जेड -3, महाराजा होटल के पीछे, बुद्ध बाजार, मुरादाबाद का निवासी, ने दर्ज कराई है। गोपाल मिश्रा और हरवीर सिंह चढ्ढा पुत्र श्री गुरजीत सिंह चढ्ढा निवासी 455 सिविल लाईन्स, मुरादाबाद व हरभजन सिंह चढ्ढा पुत्र स्व. गुरवचन सिंह चढ्ढा निवासी 455 सिविल लाईन्स, मुरादाबाद के बीच 13 जुलाई 2010 मुरादाबाद में एक पार्टनरशिप डीड (भागीदारी अनुबन्ध) मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स के नाम निष्पादित हुआ था।
उक्त भागीदारी अनुबन्ध के पैरा 10 में यह लिखा गया है कि That in case of death of any partner, the partnership firm shall be dissolved and the legal heir/representative of the deceased partner shall step into his shoes उपरोक्त भागीदारी अनुबन्ध में हरभजन सिंह चढ्ढा की भागीदारी 37.50%, हरवीर सिंह चढ्ढा की भागीदारी 37.50% व मेरी भागीदारी 25% है।
उपरोक्त पंजीकृत भागीदारी अनुबन्ध 13 जुलाई 2010 के एक सह- भागीदार हरभजन सिंह चढ्ढा पुत्र स्व गुरवचन सिंह चढ्ढा की मृत्यु 22 दिसंबरण2020 को मुरादाबाद में हो गयी थी। पंजीकृत भागीदारी अनुबन्ध 13 जुलाई 2010 में यह स्पष्ट है कि अगर किसी भागीदार की मृत्यु हो जाती है तो पार्टनरशिप फर्म स्वतः भंग हो जायेगी।
हरभजन सिंह चढ्ढा की मृत्यु के उपरान्त उपरोक्त भागीदारी फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स, पार्टनरशिप डीड 13 जुलाई 2010 के पैरा 10 के अनुक्रम में भंग हो गयी थी। इस कारण मैंने (गोपाल मिश्रा) पार्टनरशिप डीड 13 जुलाई 2010 के दूसरे सह भागीदार हरवीर सिंह चढ्ढा पुत्र गुरजीत सिंह चढ्ढा निवासी 455 सिविल लाईन्स, मुरादाबाद से उक्त मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स फर्म के भंग होने के कारण उस फर्म के स्थान पर एक नयी फर्म गठित करने हेतु कई बार मिलकर कहा।
जिससे कि उक्त फर्म से जुडी हुई सम्पत्तियों का विधिक रूप से निस्तारण किया जा सके, और उक्त फर्म से जुड़े बैंक आफ इण्डिया रामपुर रोड ब्रांच के खाता सं. -780420110000388 को विधिक रूप से संचालित किया जा सके। मेरे बार बार कहने के बावजूद भी हरवीर सिंह चढ्ढा ने कोई रेस्पोन्स नहीं दिया और इस बात को टालते रहे। फिर यह बात मैने उनके पिता गुरजीत सिंह चढ्ढा को भी बतायी।
लेकिन उनके द्वारा भी मेरी बात को बार बार टाला जाता रहा क्योकि उनका इरादा मुझे धोखा देकर उपरोक्त मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स की सारी सम्पत्तियों को हड़पने का था। जिसके क्रम में उनके द्वारा बिना मुझे बताये, बिना मेरी सहमति के कूटरचित तरीके से बेईमानी पूर्ण आशय से खुद लाभ लेने के लिए और एसडी अपठनीय मुझे हानि पहुँचाने के आशय से कूटरचित दस्तावेजो के सहारे एक फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स के नाम से बना ली।
इसी क्रम में दिनांक 16.04.2018 को एक पंजीकृत इकरारनामा श्रीमती शहनाज़ पत्नी माहे आलम व माहे आलम पुत्र स्व अबुल हसन निवासीगण बारादरी, निकट चर्च, शहर व जिला मुरादाबाद (विक्रेतागण / प्रथम पक्ष) व गुरजीत सिंह चढ्ढा पुत्र हरभजन सिंह निवासी 455 सिविल लाईन्स, मुरादाबाद व गोपाल मिश्रा पुत्र स्व देवकी नन्दन मिश्रा निवासी कटघर, गाडीखाना, मुरादाबाद और हरवंश सिंह चढ्ढा पुत्र सरदार त्रिलोक सिंह चढ्ढा निवासी टीडीआई सिटी (क्रेतागण / द्वितीय पक्ष) के साथ हुआ था।
उपरोक्त इकरारनामे में विक्रेता पक्ष को पार्टनरशिप डीड दिनांक 13.07.2010 में अंकित फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स के बैंक ऑफ इण्डिया रामपुर रोड ब्रांच के खाता सं0-780420110000388 जरिए चैक 50,00,000/- रु (पचास लाख रूपये) बतौर बयाना दिया गया था, इसके उपरान्त भी विक्रेतागण को विभिन्न तिथियों में हमारी फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स के बैंक ऑफ इण्डिया रामपुर रोड ब्रांच के खाता सं0-780420110000388 से. रूपये दिये गये थे।
बैंक ऑफ इण्डिया रामपुर रोड ब्रांच के खाता सं0-780420110000388 की पैमेंट की डिटेल संलग्नक 4 है। भागीदारी अनुबन्ध दिनांक 13.07.2010 के पैरा-10 में स्पष्ट अंकित होने के पश्चात् भी बिना प्रार्थी की सहमति के और बिना प्रार्थी को शामिल किये हरवीर सिंह चढ्ढा पुत्र गुरजीत सिंह चढ्ढा निवासी 455. सिविल लाईन्स, मुरादाबाद ने जसप्रीत कौर पत्नी स्व हरभजन सिंह चढ्ढा, व गुरजीत चढ्ढा पुत्र हरभजन सिंह चढ्ढ़ा निवासीगण 455, सिविल लाईन्स, मुरादाबाद,
जिसमें हरवीर सिंह चढ्ढा मेरी पार्टनरशिप फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स में सह-भागीदार है ने अपने पिता गुरजीत सिंह चढ्ढा व अपनी दादी जसप्रीत कौर को जो पार्टनरशिप डीड दिनांक 13 जुलाई2010 में मेरे साथ एक अन्य भागीदार हरभजन सिंह चढ्ढा की पत्नी है. के साथ मिलकर मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स के नाम से एक नयी फर्म कूटरचित दस्तावेजो के सहारे बेईमानीपूर्ण आशय से और प्रार्थी के साथ छल करने की नियत से पंजीकृत करा ली।
13 जुलाई 2010 के पार्टनरशिप डीड/मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स का अपना पैन कार्ड भी इस नयी फर्म मैसर्स चढ्द्धा डेवलपर्स में अवैध रूप से और बिना मेरी सहमति के संलग्न कर एक नया बैंक एकाउण्ट प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक, गांधी नगर ब्रांच, जनपद मुरादाबाद में इन लोगों द्वारा कूटरचित दस्तावेजो के सहारे बेईमानीपूर्ण आशय से व छल करने की नियत से खोला गया।

13 जुलाई 2010 की पार्टनरशिप फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स में दिनांक 16 अप्रैल 2018 का पूर्व में किया गया पंजीकृत विक्रय अनुबन्ध से लगभग 1.91 करोड़ रूपया जो कि पुरानी फर्म मैसर्स चढ्ढ़ा डेवलपर्स के बैंक ऑफ इण्डिया रामपुर रोड ब्रांच के खाता सं0-780420110000388 से दिया गया था।
उसको उपरोक्त लोगों द्वारा अपनी नई फर्म मैसर्स चद्धा डेवलपर्स के नए बैंक एकाउण्ट प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक, गांधी नगर ब्रांच, जनपद मुरादाबाद 1.91 करोड़ रूपया वापस लेकर फर्जी तरीके से नई फर्म से 14 अप्रैल 2018 को हुए पजीकृत एग्रीमेन्ट-टू-सेल को बिना निरस्त कराये हरवीर सिंह चड्ढा को रजिस्ट्री कर दिया।
28 अप्रैल 2025 को हरवीर सिंह चढ्द्धा ने एक सम्पत्ति जो सरोज सिनेमा के नाम से जो कि हमारी पुरानी फर्म मैसस चढ्ढ़ा डेवलपर्स में रजिस्टर्ड थी, जिसमें प्रार्थी गोपाल मिश्रा की भी भागीदारी 25 प्रतिशत की है, का कुछ हिस्सा तमन्ना चढ्ढा के नाम छल पूर्वक बेईमानीपूर्ण आशय से कूटरचित दस्तावेजो के सहारे बिना प्रार्थी को सम्मिलित किये और बिना उसके साथ नई फर्म बनाये अपनी दूसरी फर्म मैसर्स चढ्द्धा डेवलपर्स जो कि कूटरचित दस्तावेजो के माध्यम से बनायी गयी थी के द्वारा रजिस्टर्ड बयनामा कर दिया गया।
इस बात की जानकारी होने पर मैं हरवीर सिंह चढ्द्धा और गुरजीत सिंह चढ्ढा से पूछने गया कि पार्टनरशिप डीड दिनाक 13 जुलाई 2010 की पंजीकृत फर्म मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स जिसके एक भागीदार हरभजन सिंह चढ्ढा की दिनांक 22.10.2020 को मृत्यु हो गयी है जिस कारण उक्त मैसर्स चढ्ढा डेवलपर्स की सम्पत्ति बेची नहीं जा सकती है. को हरवीर सिंह चढ्ढा ने अपनी पत्नी तमन्ना चढ्ढा के नाम कूटरचित तरीके से बिना प्रार्थी की सहमति के एक नई फर्म मैसर्स चढ्द्धा डेवलपर्स बनाकर रजिस्ट्री कर दी गयी है।
जबकि दिनांक 13.07.2010 के पार्टनरशिप डीड के पैरा-10 में स्पष्ट लिखा है कि मैसर्स चढ्द्धा डेवलपर्स के सह-भागीदार की मृत्यु होने पर पार्टनरशिप फर्म स्वतः भंग हो जायेगी। इस बात पर उनके द्वारा मुझसे कहा गया कि हमारी मर्जी हम जो चाहे करेंगे तुम इसमें कुछ नहीं कर पाओगे।

इस प्रकार हरवीर सिंह चढ्ढा, गुरजीत सिंह चढ्ढा, तमन्ना चढ्ढा, जसप्रीत कौर व इसमें शामिल अन्य लोगों द्वारा एक आपराधिक षड्यन्त्र कर एक राय होकर कूटरचित दस्तावेज बनाकर अवैध लाभ लेने के लिए और मुझे व्यापार कारोबार के अनुक्रम में नुकसान पहुंचाने के लिए बेईमानीपूर्ण आशय से छल करने की नियत से मूल्यवान प्रतिभूति की कूटरचना कर बिना नया भागीदारी अनुबन्ध किया, जैसा कि पार्टनरशिप डीड 2010 के पैरा-10 में अंकित है।
इनके द्वारा उपरोक्त सम्पत्तियों को अवैध रूप से विक्रय कर दिया गया और बाकी सम्पत्तियों को विक्रय करने के प्रयास में हैं जिसके ऐवज में इन लोगों द्वारा करोड़ों रूपये का बयाना भी ले लिया गया है जो भारतीय न्याय संहिता की धारा-61 (2)/316(5)/318(4)/338/336(3)/340(2) के अन्तर्गत आती है जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। अतः अनुरोध है कि प्रार्थी के साथ हुए उक्त आपराधिक क्रिया कलाप जो गम्भीर अपराध की परिधि में आता है उक्त लोगों पर उपरोक्त सुसंगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराने की कृपा करें, जिससे गम्भीर अपराध के सम्बन्ध में न्याय मिल सके।