पवित्र सावन माह का पहला सोमवार और व्रत आज: भगवान आशुतोष की कृपा से मिलेगी सुख-समृद्धि

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। भगवान शिवजी की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें श्रावण मास के सोमवार का व्रत प्रमुख है।
आयुष्मान व सौभाग्य योग का अनुपम संयोग रहेगा
श्रावण माह के सभी सोमवार को व्रत रखा जाता है। वैसे तो हिन्दू धार्मिक परम्परा के मुताबिक भगवान शिवजी की आराधना किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन सोमवार के दिन की विशेष महिमा है।.इस बार श्रावण मास का प्रथम सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन आयुष्मान व सौभाग्य योग का अनुपम संयोग रहेगा।
शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है

सोमवार शिवजी का प्रिय दिन है, जिससे श्रावण मास का सोमवार व्रत के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। पार्थिव शिवलिग स्वच्छ मिट्टी, गंगालजल से निर्माण करके विधि-विधानपूर्वक पूजा किया जाता है। श्रावण मास में शिवभक्त कांवड़ यात्रा करके शिव जी को जलार्पित करते हैं।
व्रत का विधान –
व्रतकर्ता को प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। तत्पश्चात अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
श्रृंगार करना चाहिए भगवान शिवजी का
सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिवजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है। भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके श्रृंगार करना चाहिए।
मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती
तत्पश्चात धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। पंचोपचार, दशोपचार अथवा पोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक परम्परा के अनुसार जगतजननी माता पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।
व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए

भगवान शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए सोमवार व्रत कथा, श्री शिव चालीसा एवं भगवान शिवजी से सम्बन्धित मन्त्रों का जप एवं पाठ करना चाहिए, साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएं भी सुननी चाहिए। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए।
विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी
अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता करने से जीवन में सुख-शांति एवं आरोग्य के साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली की भी प्राप्ति होती है।

सौभाग्य में अभिवृद्धि के लिए रात्रि के चारों प्रहर में पूजा विशेष फलदायी
प्रथम प्रहर-भगवान शिव जी का दूध से अभिषेक करें एवं ॐ हीं ईशान्य नमः मन्त्र का जप करें।
द्वितीय प्रहर-भगवान शिव जी का दही से अभिषेक करें तथा ॐ ह्रीं अघोराय नमः मन्त्र का जप करें।
तृतीय प्रहर-भगवान शिव जी का शुद्ध देशी घी से अभिषेक करें, साथ ही ॐ ह्रीं वामदेवाय नमः मन्त्र का जप करें।
चतुर्थ प्रहर-भगवान शिव जी का शहद से अभिषेक करें एवं ॐ हीं सध्योजाताय नमः मन्त्र का जाप करें।

कौन सा करें पाठ-
भगवान शिवजी की महिमा में शिव चालीसा, शिव-स्तुति, शिव सहस्रनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिवजी के प्रिय पंचाक्षर मन्त्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ॐ’ इस मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है।