Tmu छात्रों ने IIT Roorkee में Innovative Research Techniques को समझा

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के एमएलटी के 31 यूजी और पीजी छात्रों के संग-संग पीएचडी स्कॉलर्स ने किया आईआईटी रुड़की का शैक्षणिक दौरा

लव इंडिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के बीएससी एमएलटी, एमएससी एमएलटी के 31 छात्रों और पीएचडी स्कॉलर्स ने आईआईटी रुड़की का शैक्षणिक दौरा किया। विजिट के दौरान स्टुडेंट्स ने बायोसेफ्टी लेवल-3 प्रयोगशालाएं, सर्कुलर डाइक्रोइज़्म-सीडी स्पेक्ट्रोस्कोपी, सरफेस प्लास्मोन रेज़ोनेंस- एसपीआर, एचपीएलसी, जीसी-एमएस/एमएस, कॉन्फोकल माइक्रोस्कोपी, फ्लोरेसेंस-एक्टिवेटेड सेल सॉर्टिंग-एचपीएलसी और एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी सरीखी अत्याधुनिक तकनीकों की कार्यप्रणाली को विस्तार से समझा। साथ ही एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी, टिशू लाइज़र, नॉइज़ आइसोलेशन चेंबर, यूवी स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, नैनोड्रॉप स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, पीसीआर और क्यूपीसीआर जैसी तकनीकों के अनुप्रयोगों को भी गहनता से समझा। यह भ्रमण कराने में पैरामेडिकल के प्राचार्य प्रो. नवनीत कुमार, एचओडी डॉ. रुचि कांत की उल्लेखनीय भूमिका रही। टीएमयू फैकल्टी श्री बैजनाथ दास और मिस विवेचना देवरा की विजिट के दौरान उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

आईआईटी, रूड़की के प्रो. सचिन सुरेश तिवारी ने न्यूरोसाइंस और न्यूरोडीजेनेरेशन की जानकारी देते हुए कहा, अल्ज़ाइमर डिज़ीज़ का अब तक कोई इलाज नहीं है। जीवनकाल के दौरान इसका कोई प्रभावी डायग्नॉस्टिक परीक्षण उपलब्ध नहीं है। इसे केवल मृत्यु के बाद ही निश्चित रूप से पहचाना जा सकता है। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है, जो न्यूरॉन्स और ग्लियल सेल्स को प्रभावित करती है। हालांकि ग्लियल सेल्स की भूमिका अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाई है। इस दिशा में शोध कार्य अभी भी जारी हैं। प्रो. प्रविंद्र कुमार ने स्ट्रक्चरल बायोलॉजी, कैंसर से संबंधित प्रोटीन को शुद्ध करने और नए अणुओं के संश्लेषण, जीन डाटाबेस के विश्लेषण, हजारों अणुओं की स्क्रीनिंग, सेल लाइन्स और एनिमल मॉडल पर परीक्षण, साथ ही जीन क्लोनिंग और अभिव्यक्ति पर अपने शोध कार्य की जानकारी साझा की। प्रो. अश्विनी कुमार ने प्रोटीन बायोकैमिस्ट्री, दवाओं के विकास, सेल-आधारित मॉडल, सेल लाइन्स और एनिमल-आधारित मॉडल पर किए जा रहे शोध से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। प्रो. सत्यनारायण राव ने कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी, ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर, एस्ट्रोजन रिसेप्टर और म्यूटेशन-आधारित रिसेप्टर पर अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए।

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