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इस शहर में Poet Babu Ramji Sharan Saxena के घर आते थे Amitabh Bachchan के father Harivansh Rai

निर्भय सक्सेना, बरेली। स्वर्गीय बाबू रामजी शरण सक्सेना बरेली ही नहीं प्रदेश के एक जाने माने कवि थे। जिनके यहां देश के जाने माने कवियों का आना जाना होता रहता था। डॉ हरिवंश राय बच्चन जी उनके मित्र थे जो उनके निवास पर अक्सर आते थे। हरिवंश बच्चन की पत्नी तेजी सूरी बच्चन से भी बरेली में ही मुलाकात हुई थी एक गोष्ठी में। बाबू रामजी शरण सिविल लाइन, बरेली आवास ‘नीलकमल’ के विषय में देश के सुप्रसिद्ध गीतकार स्व. भारत भूषण जी (मेरठ) कहते थे कि यह वही घर है जहां गीतऋषि स्व. नीरज जी की कविता पूर्णिमा सी गुनगुनाती है । तब यहां गमलों में गीत खिलते थे । बेलों में गीत झूलते थे । आंगन में गीत टहलते थे और छत पर गीत चहचहाते थे। रामजी शरण जी की एक कविता इस प्रकार थी — याद जब आती है उनकी ए सरन, हो जाता हूँ बेखबर दुनिया से। रामजी शरण ने ताजमहल पर अपनी कविता कुछ इस तरह कही — ए महलों के सरताज महल, ए यमुना तट के ताजमहल।

बाल कवि निरंकार देव सेवक के बारे में रामजी शरण का कहना था कि सेवक जी को साथ रखने के लोभ में मैने उन्हें वकालत कराई जबकि लोगो का कहना था कि मैने उन्हें कवि से वकील बना दिया और उन्होंने मुझे वकील से कवि बन दिया। रामजी शरण की पुस्तक ‘निर्झरणी’ कवि नाथू लाल अग्निहोत्री नम्र जी की प्रेरणा से ही पूरी हुई । निर्झरणी की भूमिका में रामजी शरण ने लिखा- प्रमुख उद्देश्य कविता का अपने को सुखी करना है और इससे किसी को भी शांति मिले तो यह उस कविता की विशेष सफलता है। कविता उपदेश के लिए नहीं लिखी जाती किंतु उसके अंतर्गत यदि कोई प्रयास रहित संदेश निहित हो तो क्या कहना।

निरंकार देव सेवक ने निर्झरणी पुस्तक में सहयोगी की भूमिका निभाई। यह बात राम प्रकाश गोयल ने अपने एक आलेख में कही। राम प्रकाश गोयल कहते हैं कि 1951 में मैने वकालत की डिग्री पास की। उसके बाद मेरा एडवोकेट राम जी शरण के पास रोज जाना होता था। वह सुबह का समय अपने मुकदमों की तैयारी में देते। शाम का समय कवि शायरों की महफ़िल के लिए होता था। उनके यहां कवयित्री श्रीमती ज्ञानवती जी, कवि होरी लाल शर्मा नीरव जी, नाथू लाल अग्निहोत्री नम्र जी, सतीश संतोषी, किशन लाल साकिब, किशन सरोज, अनवर चुगताई, वसीम बरेलवी जी अपनी रचनायें प्रस्तुत करते थे।

कुछ कवि बताते हैं कि रामजी शरण जी बादशाह बाले अंदाज में बैठ कर आयोजक के रूप में सबकी खातिरदारी भी खूब कराते थे। स्वर्गीय किशन सरोज जी रामजी शरण जी से बहुत प्रभावित थे। उनका कहना था कि जांचे परखे कवि ही बाबू रामजी शरण की कवि गोष्ठी में अपनी रचनायें प्रस्तुत कर पाते थे। 31 अगस्त 1984 को 77 वर्ष की आयु में रामजी शरण जी का निधन हुआ। उनके पुत्र जगदीश सरन उर्फ बच्चन भी एडवोकेट रहे जबकि 3 पुत्रियां अपने अपने ससुराल में है। स्वर्गीय निरंकार देव सेवक की पुत्रवधु श्रीमती पूनम सेवक का कहना है कि सेवक जी रामजी शरण को रिश्तेदार से अधिक अपना मित्र मानते थे। अध्यापक हरि शंकर सक्सेना कहते है कि कवि ज्ञानवती जी के कहने पर ही उन्होंने अपनी पत्रिका का नाम भी ‘निर्झरणी’ रखा। हरि शंकर जी कहते हैं कि श्रीमती ज्ञानवती जी कहती थी कि इससे रामजी शरण की याद कायम रहेगी।

स्वर्गीय राम जी शरण सक्सेना बाबूजी की धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती कमला देवी, के बारे में कवि आनंद गौतम का कहना है कि वह श्रीमती कमला देवी जी को आदर पूर्वक बुआ जी कहा करते थे, उनका स्वर्गीय रामजी शरण के परिवार से असली जुड़ाव तब शुरू हुआ जब श्रीमती कमला देवी जी ने संस्थापिका के रूप में वर्ष 1988 में ‘परिक्रमा’ संस्था बनाई । जिसमें आनंद गौतम को सचिव का भार सौंपा गया । बाबू रामजी शरण की स्मृति में साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय योगदान देने वाले विभूतियों को सम्मानित करने का निर्णय भी लिया गया था । इससे पूर्व स्वर्गीय रामजी शरण जी का स्मृति समारोह 20 मई 1985 से उनके घर पर होता रहा था। वर्ष 1987 में शहर की ही एक संस्था ‘संस्कृति’ ने इसका उत्तरदायित्व लिया और संजय कम्युनिटी हॉल, बरेली में एककार्यक्रम हुआ । वर्ष 1988 में परिक्रमा संस्था द्वारा सुप्रसिद्ध गीतकार स्वर्गीय भारत भूषण जी एवं सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायक श्री खुशीद जी का अभिनंदन किया।

इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए वर्ष 1989 में सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय चेतना के गीतकार स्वर्गीय डॉ. उर्मिलेश शंखधार एवं डॉ जे. एन. सारस्वत ( राष्ट्रपति पदक प्राप्त प्रधानाचार्य – एस. वी. इंटर कॉलेज) को कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। वर्ष 1990 में बाबू रामजी शरण की स्मृति में हुए कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध शायर कृष्ण बिहारी ‘नूर’ एवं प्रगतिशील रचनाकार एवं कवि पत्रकार स्वर्गीय डॉ. वीरेन डंगवाल का अभिनंदन किया गया था। यह शायद बाबू रामजी शरण की स्मृति का अंतिम कार्यक्रम था। कारण सिर्फ इतना था कि श्रीमती कमला देवी का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा था तथा संस्था के ज्यादातर सदस्य इधर-उधर चले गए थे। स्वर्गीय बाबू रामजी शरण जी के विषय में कवि आनंद गौतम ने एक कविता स्मृति समारोह के दिन लिखी थी जो काफी सराही भी गई।