swami vivekananda ki death anniversary पर Maharaja Agrasen Inter College में भव्य कार्यक्रम

लव इंडिया मुरादाबाद। वंदे भारत राष्ट्रवादी संगठन के द्वारा महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज मुरादाबाद में स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित करके किया गया।

स्वामी विवेकानंद ने भारत की संस्कृति और सभ्यता का परिचय दिया
इस मौके पर राजीव ढल ने कहा की आज के ही दिन 4 जुलाई 1902 में मात्र 39 साल की अल्प आयु में स्वामी विवेकानंद ने इस दुनिया को छोड़ दिया लेकिन आज इतने वर्षों के बाद भी उनके संदेश दुनिया को प्रेरणा देते हैं। राजीव ढल ने आगे कहा की जब 11 सितंबर 1893 को शिकागो में आयोजित धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने भारत की संस्कृति और सभ्यता का जो परिचय दिया दुनिया उसकी कायल हो गई और उनके पीछे नतमस्तक हो गई।
स्वामी जी का जीवन एक आदर्श जीवन था
उन्होंने अपनी वाणी को विराम देते हुए कहा कथानक व्याकरण समझे जो सुरभित छंद हो जाए हमारे देश में फिर से सुखद मकरंद हो जाए मेरे दाता मेरे ईश्वर में मांगता। तुझसे युवा पीढ़ी संभल के विवेकानंद हो जाए राहुल चौधरी ने कहा की स्वामी जी का जीवन एक आदर्श जीवन था और जो हमें प्रेरणा देता है और उन्हीं के बताएं रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं।
विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए
स्मिता सक्सेना, विमल कुमार, सुमित कुमार शर्मा, संजय कुमार, रति कौशिक, रश्मि कूपर,भूपेंद्र सिंह बिष्ट ने स्वामी विवेकानंद से जुड़े प्रेरक प्रसंगों के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया और कहा कि आप युवा है और युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
छात्राओं में प्रथम स्थान सोनिका ने प्राप्त किया
इस मौके पर एक कला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें छात्रों ने स्वामी विवेकानंद के सुंदर चित्रों के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कला प्रतियोगिता में छात्रों में प्रथम स्थान सिद्धार्थ कुमार, द्वितीय स्थान रेहान और तृतीय स्थान अनुज कुमार ने प्राप्त किया। छात्राओं में प्रथम स्थान सोनिका ने प्राप्त किया। सभी को मेडल देकर सम्मानित किया गया।

इस मौके पर राजीव ढल, ग्रंथ सिंह, संजय कुमार, राहुल चौधरी, सुमित कुमार शर्मा, विमल कुमार,रति कौशिक, रश्मि कूपर, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, राहुल कुमार ओंकार सिंह सुरेश कुमार आदित्य कुमार उदयपाल सिंह राजपाल सिंह और सुखलाल का विशेष योगदान रहा।कार्यक्रम का संचालन ग्रंथ सिंह द्वारा किया गया।