Rishi Ashram पर इस मंगलवार भी Swami Nardananda रसोई ने किया भोजन वितरित

लव इंडिया, मुरादाबाद। स्वामी नारदानंद रसोई का 50 वां आयोजन संपन्न हुआ। स्वामी नारदानंद ऋषि आश्रम में प्रत्येक मंगलवार की भांति इस मंगलवार को स्वामी नारदानंद रसोई एवं मंगल चिंतन संपन्न हुआ।

मंगल चिंतन में स्वामी नारदानंद महाराज के परम शिष्य बाबा संजीव आकांक्षी ने कहा कि “गुरु बिन भव निधि तरै न कोई”. इस नाश्वान संसार में गुरु की कृपा के बिना भवसागर से पार होने का कोई भी मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता.
गुरु बिन भव निधि तरै न कोई अर्थात्‌ संसार में गुरु ही एकमात्र साधन है जो मनुष्य के अंतःकरण की कलुशता को दूर कर, अंधकार को दूर कर सत्य की ज्योति और और परमात्मा की कृपा के प्रकाश से शिष्य के जीवन को भर देता है. इस कलयुग के काल में मनुष्य को भगवन नाम का स्मरण करते हुऎ एक सच्चे गुरु की तलाश करें और पूरी आस्था के साथ गुरु के उपदेश और निर्देशों को आत्मासात करें. गुरु का भी दायित्व बनता है की वह अपने शिष्य को सनमार्ग पर अग्रसर करें और उसके कल्याण की कामना के साथ ही अपने शिष्य को मार्गदर्शित करें।


इस संसार में गुरु की कृपा के बिना जीव का कल्याण संभव नहीं है। गुरु ही सन्मार्ग दिखाता है एवं स्वकल्याण की भावना को जागृत करने में गुरु का ही महत्व है।
गुरु की कृपा के बिना भवसागर रुपी इस मिथ्या एवं नाशवान संसार में मनुष्य का कल्याण संभव नहीं है गुरु ही सभी शंकाओं का समाधान करता है। जब गुरु का शरीर नहीं रहता तब गुरु सूक्ष्म शरीर में उपस्थित होकर अंतःकरण में प्रेरणा का जागरण करता है।इस प्रेरणा से गुरु का कोई शिष्य परम शिष्य की पदवी को प्राप्त कर जहां एक और अपना कल्याण करता है वही परिवार एवं मित्रों के लिए भी कल्याण की भावना रखना उसका लक्ष्य बन जाता है।


आदि जगदाचार्य स्वामी नारदानंद जी महाराज अपने नैमिषारण्य आश्रम सहित देश के सभी आश्रमों में भंडारा एवं अन्नक्षेत्र का निरंतर आयोजन करवाते थे। उन्ही के प्रेरणा से स्वामी नारदानंद ऋषि आश्रम में बाबा संजीव आकांक्षी के सद्प्रयासों से निरंतर प्रत्येक मंगलवार को रसोई एवं अन्न प्रसाद का वितरण एवं भंडारा किया जाता है। यह आयोजन 50वां आयोजन के रूप में संपन्न हुआ।


आज के आयोजन में प्रमुख रूप से आश्रम के मार्गदर्शक मुन्ना गुरुजी, बाबा संजीव आकांक्षी, माया शर्मा, प्रमोद रस्तोगी, प्रशांत अग्रवाल, पंकज शर्मा, सुरेंद्र सिंह, अक्षय सरस्वत, पुरषोत्तम शर्मा आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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