महाशिवरात्रि बुधवार को, जानिए शिवलिंग पर जल अभिषेक करने का तरीका

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. शिवलिंग पर जल ( अभिषेक करने का) चढ़ाने का इस दिन विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विधिपूर्वक जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

ऋषिकेश स्थित गृह स्थानम’ के ज्योतिष अखिलेश पांडेय कहते हैं कि महाशिवरात्रि भगवान शिव का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसमें जलाभिषेक का विशेष महत्त्व होता है. इसे विधिपूर्वक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. भक्त भी महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त में जलाभिषेक कर अपने जीवन को शिवमय बनाते हैं. इस पावन अवसर पर सही विधि से पूजा-अर्चना करने से भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है.

जल चढ़ाने के नियम
जलाभिषेक के कुछ नियम होते हैं. जिनका पालान करने से भक्तों को अधिक लाभ मिलता है. शिवलिंग पर जन बढ़ाने के लिए गंगाजल, शुद्ध जल या गोदुग्ध का उपयोग करना श्रेष्ठ माना जाता है. इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि जल की धारा अत्यधिक वेग से न गिरे, इसे धीरे-धीरे बढ़ाना ही शुभ माना जाता है. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करना चाहिए, क्योंकि ये दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है.

तुलती पत्र वर्जित
धर्म शास्त्रों के अनुसार, खड़े होकर जल बढ़ाना उचित नहीं माना जाता. इसे बैठकर या झुककर चढ़ाने से अधिक पुण्य मिलता है. जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना उत्तम होता है. यदि ये संभव न हो तो चांदी या कांसे का पात्र भी उपयोग में लाया जा सकता है. भगवान शिव की पूजा में तुलसी पत्र वर्जित माने जाते हैं, इसलिए जलाभिषेक के दौरान इन्हें शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए. जल चढ़ाने के साथ-साथ शिवलिंग पर काले तिल और वेलपत्र अर्पण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. जल चढ़ाने के दौरान ॐ नम शिवाय’ मंत्र का उच्चारण करने से शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है.