Shri Varshney Sabha Sambhal: मकर संक्रांति नई ऊर्जा, नई फसल और नई शुरुआत का प्रतीक

लव इंडिया, संभल। मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि इसका संबंध विज्ञान, कृषि और सामाजिक जीवन से भी है। मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, नई फसल, और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, इस दिन खिचड़ी बनाने और दान करने की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है.यह उद्गार मकर संक्रांति के पर्व पर खिचड़ी वितरण कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहे।


हयातनगर के चामुंडा मंदिर पर श्री वार्ष्णेय सभा संभल की और से खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया जिसमें सभा के अध्यक्ष जगत आर्य ने मकर संक्रांति के पर्व का महत्व बताया साथ गौर कहा सूर्य के उत्तरायण होने से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को “संक्रांति” कहा जाता है।

प्रबंधक देवेंद्र वार्ष्णेय कहा इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, यानी उसकी दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर हो जाती है। उत्तरायण को शुभ समय माना गया है, जब सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है। यह समय देवताओं की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है। महिला शक्ति संगठन की अध्यक्ष दीपा वार्ष्णेय ने मकर संक्रांति के पर्व पर दान पुण्य के महत्व को बताया।

इस अवसर पर महावीर प्रसाद, त्रिभुवन सर्राफ, सुमित श्याम, पुनीत सर्राफ, नवरत्न सर्राफ, संजय वार्ष्णेय, शिव कुमार वार्ष्णेय, विपिन सर्राफ, विष्णु आर्य, मनीष सर्राफ, सोनू गुप्ता एडवोकेट, महिला शक्ति संगठन की अंजना, नीलिमा वार्ष्णेय, ऋचा, पुष्पा, संतोष, निशि वार्ष्णेय आदि ने भाग लिया।

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