IAS संतोष वर्मा के बयान पर सवर्ण आर्मी की नाराजगी, मुरादाबाद में एसएसपी को सौंपा ज्ञापन
मुरादाबाद, 27 नवंबर 2025।
IAS संतोष वर्मा के कथित विवादित बयान के खिलाफ सवर्ण आर्मी ने आज मुरादाबाद में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक प्रार्थना-पत्र सौंपा। संगठन ने इसे ब्राह्मण समाज के सम्मान के विरुद्ध बताया और आरोपी अधिकारी पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की।
📌 एसएसपी मुरादाबाद को सौंपा गया ज्ञापन
सवर्ण आर्मी के कार्यकर्ताओं ने बताया कि 23 नवंबर 2025 को संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। संगठन का कहना है कि यह बयान समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है और सार्वजनिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा ऐसा टिप्पणी करना अनुशासनहीनता है।
📌 एफआईआर और कानूनी कार्रवाई की मांग
ज्ञापन में सवर्ण आर्मी ने मांग की कि आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक समुदाय का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक आचार संहिता से जुड़ा मामला है।
📌 संगठन के पदाधिकारी रहे मौजूद
ज्ञापन सौंपने के दौरान सवर्ण आर्मी से
- पंडित दुष्यंत कौशिक (जिलाध्यक्ष)
- पंडित सचिन शर्मा
- पंडित शैलेंद्र शर्मा
- पंडित शिव कुमार शर्मा
समेत कई पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे।
इन नेताओं ने कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन आगे आंदोलन की रणनीति पर विचार करेगा।
📌 शांतिपूर्ण तरीके से सौंपा ज्ञापन
संगठन के सदस्यों ने यह भी कहा कि उन्होंने लोकतांत्रिक मर्यादाओं के भीतर रहकर एसएसपी कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराई है और वे न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
⚠️ क्या हुआ — संतोष वर्मा विवादित बयान और उसकी प्रतिक्रिया
📌 घटना
- 22 नवंबर 2025 को भोपाल में AJJAKS (अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ) की एक बैठक में, संतोष वर्मा ने आरक्षण (reservation) को लेकर एक बयान दिया — उन्होंने कहा कि आरक्षण जारी रहना चाहिए “जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं दे” या “उससे रिश्ता (विवाह) नहीं करें।”
- उनका कथित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस बयान को कई लोगों और समुदायों ने “जात-पात और महिलाओं को वस्तु की तरह दिखाने वाला” बताया और कड़ी आलोचना की।
🔥 प्रतिक्रिया — विरोध, निंदा, और कार्रवाई
- ब्राह्मण समुदाय, अन्य सामाजिक समूहों, और कई नागरिकों ने संतोष वर्मा के बयान को “सामाजिक सौहार्द तोड़ने वाला” और “संविधान और आरक्षण नीति का अपमान” बताया।
- विरोध प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया पर आलोचना और साथ ही कानूनी कार्रवाई की मांग बढ़ गई।
📝 संतोष वर्मा का सफाई + माफी
- विवाद के बाद संतोष वर्मा ने माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उनका कहना है कि सिर्फ उनका 27 मिनट का भाषण था, लेकिन सिर्फ 9-सेकंड का एक भाग वायरल हुआ।
- उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को उनकी बातों से आघात पहुँचा हो — वे माफी चाहते हैं।
🏛️ राज्य सरकार की कार्रवाई
- Madhya Pradesh Government (मध्य प्रदेश सरकार) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए संतोष वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें सात दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
- नोटिस में कहा गया है कि उनका बयान सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला है, और यह All India Services (Conduct) Rules, 1968 एवं All India Services (Discipline and Appeal) Rules, 1969 का उल्लंघन प्रतीत होता है।
⚠️ पूर्व विवाद और पृष्ठभूमि
- ये कोई पहला विवाद नहीं है। संतोष वर्मा पहले भी फर्जी दस्तावेज और प्रमोशन मामले में जेल जा चुके हैं — 2021 में, अदालत में उन्होंने जज के हस्ताक्षर की फर्जी कॉपी लगाई थी, आरोपों के बाद जेल हुई थी। यह पुराना मामला अब फिर से चर्चा में आया है।
- इस पुराने रिकॉर्ड के कारण, लोग कह रहे हैं कि उनके बयान सिर्फ मौजूदा विवाद नहीं, बल्कि उनकी पुरानी छवि का हिस्सा है।
