संभल: कल्कि अवतार भूमि पर विवाद तेज, हिंदू जागृति मंच ने रखे नौ तर्क

अजय शर्मा बोले—“संभल की कल्कि मान्यता कोई शक्ति छीन नहीं सकती”

संभल में कल्कि अवतार की पौराणिक मान्यता को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच हिंदू जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा ने प्रेस वार्ता कर स्पष्ट कहा कि “संभल की पहचान और शास्त्रों में वर्णित कल्कि अवतार भूमि कोई भी शक्ति बदल नहीं सकती।” उन्होंने पुराणों, शास्त्रों और ऐतिहासिक ग्रंथों के आधार पर नौ प्रमुख तर्क रखकर कहा कि संभल की मान्यता को लेकर भ्रम फैलाना पाप है।


तर्क- 1. सभी पुराण एकमत—कल्कि अवतार भूमि संभल

अजय शर्मा ने कहा कि भविष्य पुराण, कल्कि पुराण, श्रीमद् भागवत सहित सभी धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथ एक स्वर में बताते हैं कि कलयुग के अंतिम चरण में भगवान श्री कल्कि विष्णु का अवतरण संभल में ही होगा।
शास्त्रीय उल्लेख इस मान्यता को पूर्ण आधार प्रदान करते हैं।


तर्क- 2. श्रावण शुक्ल पक्ष की षष्ठी—कल्कि जयंती की वास्तविक तिथि

उन्होंने कहा कि धर्मग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि भगवान श्री कल्कि का जन्म श्रावण शुक्ल षष्ठी पर होगा।
संभल में वर्षों से इसी तिथि को कल्कि जयंती महापर्व मनाया जाता आ रहा है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम भी इसी तिथि को कल्कि जयंती मनाते रहे हैं।


तर्क- 3. 68 तीर्थ और 19 कूपों वाली पवित्र धरती

ग्रंथों के अनुसार, 68 तीर्थों और 19 ऐतिहासिक कूपों से युक्त भूमि ही कल्कि अवतरण स्थल होगी।
यह विशेषता केवल संभल की पवित्र धरा में पाई जाती है, जो इस मान्यता को और मजबूत बनाती है।


तर्क- 4. 24 कोसी परिक्रमा की परिधि में संभल

कल्कि अवतरण की भूमि 24 कोसी परिक्रमा के भीतर बताई गई है।
अजय शर्मा के अनुसार, यह परिक्रमा क्षेत्र भी पूरी तरह संभल को घेरता है, इसलिए इस मान्यता पर संदेह का प्रश्न ही नहीं उठता।


तर्क- 5. तीन शिवलिंगों का त्रिकोण—पवित्र ज्योतिक्षेत्र

अजय शर्मा ने बताया कि संभल के तीन कोनों पर स्थित चंद्रेश्वर, भुवनेश्वर और संभलेश्वर शिवलिंग इस भूमि को एक दिव्य त्रिकोण क्षेत्र बनाते हैं।
इसी त्रिकोण में भगवान श्री कल्कि के अवतरण का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है।


तर्क- 6. हरिहर मंदिर से युक्त संभल की पवित्र धरा

उन्होंने कहा कि हरिहर मंदिर की पावन भूमि से युक्त यह क्षेत्र भगवान विष्णु के अवतरण के लिए शास्त्रों में वर्णित विशेषताओं से मेल खाता है।
इस मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को भी कल्कि अवतार परंपरा से जोड़ा जाता है।


तर्क- 7. धार्मिक जगत के विद्वान भी संभल को मानते हैं अवतरण स्थल

अजय शर्मा ने कहा कि इतिहासकारों, आध्यात्मिक गुरुओं, सामाजिक विचारकों और विद्वानों का एक बड़ा वर्ग संभल को ही कल्कि अवतार स्थली मान चुका है।
उन्होंने कहा—“सच वही है जो शास्त्र कहते हैं, और शास्त्र स्पष्ट रूप से संभल का पक्ष रखते हैं।”


तर्क- 8. आचार्य प्रमोद श्रीकृष्णम का समर्थन

अजय शर्मा ने शास्त्रार्थ में यह भी कहा कि प्रसिद्ध कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद श्रीकृष्णम ने अपने जीवनकाल में सदैव यह स्वीकार किया है कि

  • कल्कि जयंती श्रावण शुक्ल षष्ठी को होती है
  • कल्कि अवतार संभल क्षेत्र में होगा
  • श्री विष्णुयश शर्मा के वंश में अवतरण होगा

उन्होंने भी 68 तीर्थ व 19 कूपों के मध्य संभल को ही अवतरण स्थल बताया है।


तर्क- 9. “मान्यता बदलने की कोशिश पाप है”—अजय शर्मा

अजय शर्मा ने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि
“धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक मान्यताओं को अचानक बदलने की कोशिश चालबाजी और प्रपंच है। इसे संभल वासी कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”

उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े संत या नेता को बिना शास्त्रार्थ और अध्ययन के भ्रम फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए।


शास्त्र आधारित मान्यताओं को तोड़ने की कोशिश का पुरजोर विरोध होगा

हिंदू जागृति मंच ने साफ कहा है कि संभल की आध्यात्मिक पहचान पर किसी भी तरह का आघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शास्त्र आधारित मान्यताओं को तोड़ने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध होगा।


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