अम्मान में पीएम मोदी का कूटनीतिक दौरा, भारत-जॉर्डन संबंधों को मिला नया आयाम

अम्मान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जॉर्डन की राजधानी अम्मान दौरा कई दृष्टियों से अहम माना जा रहा है। यह यात्रा केवल औपचारिक बैठकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें कूटनीतिक संवाद, रणनीतिक सहयोग, आर्थिक साझेदारी और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस दौरे को भारत की पश्चिम एशिया नीति के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सक्रिय भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी के साथ पहुंचे उच्चस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, रणनीतिक मामलों के जानकार, आर्थिक सहयोग से जुड़े विशेषज्ञ और राजनयिक सलाहकार शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने जॉर्डन के समकक्ष अधिकारियों के साथ अलग-अलग सत्रों में व्यापार, निवेश, ऊर्जा सहयोग, जल प्रबंधन, कृषि, डिजिटल नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
इन बैठकों में भारत ने दीर्घकालिक और भरोसेमंद साझेदारी की अपनी नीति को स्पष्ट रूप से सामने रखा।

जॉर्डन के नेतृत्व के साथ शिखर वार्ता

प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन के सम्राट किंग अब्दुल्ला द्वितीय से विस्तृत शिखर-स्तरीय बातचीत की। दोनों नेताओं ने भारत-जॉर्डन संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने जॉर्डन के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और प्रमुख नीति-निर्माताओं से भी मुलाकात की। इन चर्चाओं में पश्चिम एशिया की मौजूदा परिस्थितियों, क्षेत्रीय चुनौतियों और वैश्विक कूटनीतिक परिदृश्य पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। आतंकवाद के खिलाफ साझा चिंता और शांति-स्थिरता को लेकर दोनों देशों की सोच में समानता देखने को मिली।

प्रवासी भारतीयों से संवाद

दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन में रह रहे भारतीय समुदाय से भी बातचीत की। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारत और जॉर्डन के बीच विश्वास और सहयोग की मजबूत कड़ी बताते हुए कहा कि भारतीय समुदाय दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊर्जा देने में अहम भूमिका निभा रहा है।

आगे की कूटनीतिक यात्रा की झलक

अम्मान यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी की आगे की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की रूपरेखा भी सामने आई है। माना जा रहा है कि आने वाले पड़ावों में वे अन्य देशों के नेताओं से क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संवाद करेंगे। यह क्रम भारत की सक्रिय और बहुआयामी विदेश नीति को और मजबूती देगा।

अब तक का आकलन

राजनयिक विश्लेषकों के अनुसार, इस दौरे से—

भारत ने पश्चिम एशिया में एक भरोसेमंद और संतुलित साझेदार के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है।

सुरक्षा, स्थिरता और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण सामने आया है।

आर्थिक और तकनीकी सहयोग के नए अवसरों के द्वार खुले हैं।

error: Content is protected !!