शीतकालीन सत्र का पहला दिन विवादों से घिरा: प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर बोला हमला
संसद का शीतकालीन सत्र 2025 शुरू होते ही देश की राजनीति गरमा गई। पहले ही दिन लोकसभा में जोरदार हंगामा हुआ और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसी माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच बयानबाज़ी ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया।
📌 सत्र की शुरुआत और हंगामे का उठना
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जोरदार विरोध
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ, लेकिन शुरुआत से ही इसका माहौल टकराव भरा दिखा। शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा की मांग की, जिससे सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया। लोकसभा अध्यक्ष ने कई बार व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की, लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं लिया।
📌 कार्यवाही स्थगित, विपक्ष अड़ा रहा
लगातार नारेबाज़ी और मांगों के बीच व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो गया। अंततः लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करने का निर्णय लिया। विपक्ष का कहना था कि उनकी मांगें जनता से जुड़ी हैं और उन पर चर्चा होना आवश्यक है।
📌पीएम मोदी का सख्त बयान
सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात की और विपक्ष को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि कुछ दल संसद को “राजनीतिक रंगमंच” बना देते हैं, जबकि सदन का काम जनहितकारी नीतियों पर काम करना है। पीएम मोदी ने विपक्ष से शांति और सहयोग की अपील की।
📌 प्रियंका गांधी का पलटवार
प्रधानमंत्री के बयान पर प्रियंका गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष की आवाज़ उठाना लोकतंत्र की आत्मा है। उन्होंने साफ कहा कि गंभीर मुद्दों पर बोलना “ड्रामा” नहीं बल्कि संवैधानिक कर्तव्य है।
📌 प्रियंका के मुद्दे — SIR, चुनाव, प्रदूषण
प्रियंका गांधी ने बताया कि SIR प्रक्रिया, प्रदूषण और चुनाव व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा जरूरी है। उनका कहना था कि इन मुद्दों को उठाना पूरी तरह संवैधानिक अधिकार है।
📌 कांग्रेस का पीएम मोदी पर आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद सदन में नियमित रूप से मौजूद नहीं रहते और विपक्ष से संवाद भी नहीं करते। उसके बावजूद वे विपक्ष से सहयोग की अपील करते हैं, जो विरोधाभासी है।
📌 सोशल मीडिया पर जयराम रमेश का पोस्ट
जयराम रमेश ने प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री केवल मीडिया के सामने बयान देते हैं, लेकिन सदन में आधिकारिक चर्चा से दूरी बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि संसद न चलने की जिम्मेदारी पीएम की है।
📌 विपक्ष की मुख्य मांगें
विपक्ष का कहना था कि SIR प्रक्रिया, प्रदूषण, बेरोजगारी और आर्थिक तनाव पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए। उनका आरोप था कि सरकार जानबूझकर इन मुद्दों से बच रही है।
📌 हंगामे पर सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार का रुख था कि विपक्ष बिना कारण हंगामा करता है और सत्र की कार्यवाही को प्रभावित करता है। सरकार ने कहा कि विकास कार्यों और विधेयकों पर चर्चा के लिए सहयोग आवश्यक है।
📌 राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विशेषज्ञों के अनुसार प्रधानमंत्री का बयान विपक्ष पर शुरुआती दबाव बनाने की रणनीति लग रही है। जबकि विपक्ष इस बयान को अपने अधिकारों पर हमला मान रहा है।
📌 सत्र का टोन तय हो गया?
पहले ही दिन के घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि शीतकालीन सत्र के बाकी दिनों में भी टकराव की संभावना बनी रहेगी। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जमकर हमलावर दिख रहे हैं।
📌 जनता की उम्मीदें
आम जनता की निगाहें इस सत्र पर हैं, क्योंकि कई महत्वपूर्ण विधेयक लंबित हैं। लोग चाहते हैं कि राजनीतिक बयानबाज़ी और हंगामा छोड़कर कामकाज हो।
📌 विपक्ष की रणनीति क्या?
विपक्ष ने संकेत दिया है कि वह सदन में अपनी आवाज़ और तेज करेगा और मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति अपनाएगा।
📌 सरकार का आगे का रास्ता
सरकार के सामने चुनौती है कि वह विपक्ष को साथ लेकर सत्र को चलाए और विधायी कार्य पूरे करे।
📌 “सत्र गरम, बहस और भी गरम होने के आसार”
पहले ही दिन की हलचल से इस बात के संकेत मिल गए कि शीतकालीन सत्र में बहस, बयानबाज़ी और टकराव देखने को मिलेगा। जनता को उम्मीद है कि सभी दल जनहित को प्राथमिकता देंगे।
