Delhi Assembly Election : दोहरी रणनीति वाले दल अब अंजाम की तरफ जा रहे हैं…

लव इंडिया, मुरादाबाद। दिल्ली के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पीसीसी सदस्य मुहम्मद अहमद ने प्रेस को जारी ब्यान में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली के विधान सभा चुनाव में जो जनादेश वहां की जनता ने दिया है कॉंग्रेस उसका ना सिर्फ दिल से सम्मान करती है बल्कि उसे स्वीकार भी करती है दिल्ली के लोगों ने परिवर्तन के लिए वोट दिया। दिल्ली के लोग आम आदमी पार्टी की सरकार से तंग आ चुके थे। दिल्ली चुनाव नतीजों से यह स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली के लोग बदलाव चाहते थे। वहीं काग्रेस के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा, कि भले ही हम कोई सीट नहीं जीते मगर कॉंग्रेस पूरे दमख़म से चुनाव लड़ी कॉंग्रेस के वोट प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है हमें आगे और कड़ी मेहनत करनी होगी, जमीन पर रहना होगा और लोगों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील होना होगा।

मुहम्मद अहमद ने कहा कि दिल्ली के विधान सभा चुनावों से क्षेत्रीय दलों को सबक लेना चाहिए क्योंकि कॉंग्रेस को नजर अंदाज करके किसी को भी ना तो बहुमत मिल सकता है ना कोई सत्ता हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी को उसके अहंकार और अधिक आत्मविश्वास ने सत्ता से दूर कर दिया उनके खराब टिकिट वितरण के साथ दिल्ली के विकास की अनदेखी केजरीवाल की हार का कारण बनी।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने काँग्रेस के प्रयास के बाद भी हरियाणा, गुजरात और गोवा में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद कांग्रेस हरियाणा में आप के साथ गठबंधन के पक्ष में थी। गठबंधन पर बातचीत अंतिम दौर में थी, पर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई, पर कई सीट पर कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी नुकसान देय साबित हुई।
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस को 39-39 फीसदी वोट मिले। जबकि आम आदमी पार्टी ने करीब दो फीसदी वोट हासिल कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया गुजरात में आम आदमी पार्टी कई सीट पर कांग्रेस की हार की वजह बनी थी। गुजरात में वर्ष 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी करीब 13 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही। इसका सीधा असर कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ा और पार्टी 41.4 फीसदी से गिरकर 27 प्रतिशत पर आ गई। इन चुनाव में कांग्रेस को 60 सीट का नुकसान हुआ।

मुहम्मद अहमद ने कहा कि कॉंग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा संविधान और भाई चारा विरोधी पार्टियों को सत्ता से दूर रखने के लिए क्षेत्रीय दलों की शर्तों को सर्वोपरि माना है। मग़र कई क्षेत्रीय दलों ने कॉंग्रेस को ना सिर्फ नजर अंदाज किया बल्कि ऐसा खाका तैयार किया कि वोटर लोकसभा में बीजेपी को वोट करें और विधानसभा में उन्हें वोट करे। परिणाम स्वरूप आरक्षण जातीय जनगणना, गांधी विचार धारा, यूनीफॉर्म सिविल कोड, वक्फ कानून, पूजा स्थल अधिनियम पर अपनी पॉलिसी का खुलासा करने के बजाय दोहरी रणनीति वाले दल अब अंजाम की तरफ जा रहे हैं।

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