ग्राम छावनी की 17318 वर्ग मीटर Nazul Land के ‘लापता’ होने में ‘DMR-Hospital’ ने साफ की स्थिति…

उमेश लव, लव इंडिया, मुरादाबाद। महज 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री होल्ड और बकाया 17318 वर्ग मीटर नजूल लैंड… वह भी लापता का मामला तब उजागर हुआ जब मुख्यमंत्री को हुई एक शिकायत के बाद स्थानीय अफसरों ने रिकॉर्ड खंगाला…। फिलहाल इस नजूल भूमि मामले में चर्चाओं में डीएमआर हॉस्पिटल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ मोहम्मद जीशान ने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है। जमीन खरीद के बाद से लेकर नक्शा पास तक में सरकार के समस्त नियम और शर्तों का पालन किया गया है।

फिलहाल इस नजूल भूमि मामले में चर्चाओं में डीएमआर हॉस्पिटल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ मोहम्मद जीशान ने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है। जमीन खरीद के बाद से लेकर नक्शा पास तक में सरकार के समस्त नियम औस शर्तों का पालन किया गया है। हमारा पूरा एरिया (लगभग 2714 वर्ग मीटर) फ्री होल्ड है। उन्होंने जिला अधिकारी द्वारा नक्शा निरस्त किए जाने के आदेश की बाबत कहा कि वो जिलाधिकारी उसकी बात कर रहे हैं जो नजूल की लैंड है। उसे पर कोई नया नक्शा पास ना करें हमारा तो पहले से नक्शा पास है। हमने यह 2008 में यह लैंड खरीदी और तब भी यह फ्री होल्ड थी। पिछले साल नक्शा मुरादाबाद विकास प्राधिकरण में पास होने के लिए जमा किया गया और जब वहां से नक्शा पास हो गया तब दिसंबर के लास्ट से निर्माण शुरू कराया गया उन्होंने दावा किया की सब कुछ मानक के तहत हो रहा है कहीं कोई झोल नहीं है।

अब तक की यह है कहानी: 20032 में से मात्र 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री- होल्ड
मुरादाबाद महानगर के सिविल लाइंस में नजूल भूखंड ( ग्राम छावनी के) संख्या 470 (पुराना प्लॉट नंबर – 129) ग्राम छावनी का कुल रकबा 4.95 एकड़ है अर्थात यह भूमि करीब 20032 वर्ग मीटर है। इस पूरे भूखंड में, से मात्र 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री- होल्ड है। बाकी कि 17318 वर्ग मीटर भूमि नजूल की भूमि है, जिस पर प्रशासन का कब्जा होना चाहिए लेकिन है नहीं। क्योंकि जिन अधिकारियों पर इस जमीन के संरक्षण का जिम्मेदारी थी असल में उन्हीं की( सरकारी अधिकारियों की) मिलीभगत से अरबों रुपए की इस जमीन को पिछले कुछ सालों (कोरोना काॅल) में बारी – बारी से ठिकाने लगा दिया गया।

अवैध रूप से बड़ी इमारतें बनी, कुछ निर्माण अभी जारी
चूंकि, सिविल लाइंस क्षेत्र शहर का पॉश एरिया है और पुराने सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, इसे ग्राम छावनी के नाम से पहचाना जाता है। इसी ग्राम छावनी में नजूल लैंड का भूखंड संख्या 470 रिकॉर्ड पर दर्ज है। इस भूखंड का रकबा 4.95 एकड़ है। इस भूखंड की 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री होल्ड है। जबकि बाकी 17318 वर्ग मीटर नजूल भूमि है। नियमानुसार इस 17318 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर सरकारी कब्जा होना चाहिए था। लेकिन मौके पर अवैध रूप से बड़ी-बड़ी इमारतें बना ली गईं। कुछ निर्माण यहां अभी भी जारी हैं।

नजूल भूमिका ऐसे हुआ बंदरबाट
सरकारी दस्तावेज के अनुसार ग्राम छावनी में नजूल भूखंड संख्या 470 का पट्टा भागीरथी उर्फ कुट्टी के नाम पर आवासीय प्रयोजन के लिए हुआ था। पट्टा धारक की मौत के बाद इस पट्टे को उनके वारिसों के नाम पर दर्ज कर दिया गया। कानून के जानकारों का कहना है कि जिलाधिकारी की अनुमति के बगैर नजूल भूमि (उपरोक्त) का नामांतरण संभव नहीं था। लेकिन रिकॉर्ड में तत्कालीन जिलाधिकारी या शासन की परमिशन नहीं है। इससे स्पष्ट है पट्टे को अवैध रूप से नामांतरण किया गया। इतना ही नहीं बाद में इसे कई दूसरे लोगों को बेच भी दिया गया जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी है।

