पाकिस्तान में ‘सिंधुदेश’ की मांग तेज: क्या पाकिस्तान फिर से विभाजन की ओर? कराची में बड़ा प्रदर्शन, हिंसा के बाद 45 गिरफ्तार
पाकिस्तान में एक बार फिर आंतरिक अस्थिरता चरम पर है। कराची में सिंधी समुदाय द्वारा अलग देश ‘सिंधुदेश’ की मांग को लेकर हुए बड़े प्रदर्शन ने पूरे पाकिस्तान में हलचल मचा दी है। भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक झड़पों की तस्वीरें सामने आने के बाद यह सवाल तेज हो गया है कि क्या पाकिस्तान अपने अंदरूनी संघर्षों के कारण एक और विभाजन की दिशा में बढ़ रहा है? पाकिस्तान की आर्थिक तबाही, बढ़ती बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और सिंधियों के अधिकारों की अनदेखी ने अलगाववादी भावना को हवा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद मामला और गर्म हो गया है।
कराची में हजारों सिंधियों का प्रदर्शन, ‘सिंधुदेश’ की मांग उठी
प्रदर्शन कराची के कई हिस्सों में एक साथ शुरू हुआ, जहां सिंधी राष्ट्रवादी संगठनों ने पाकिस्तान सरकार पर वर्षों से शोषण का आरोप लगाया। उन्होंने नारे लगाए कि सिंध का प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार इन्हें पंजाब और सेना के नियंत्रण में ले जाती है। अलग देश ‘सिंधुदेश’ की मांग इस क्षेत्र में नई नहीं, लेकिन हाल के महीनों में यह आवाज पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गई है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो — पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प
सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में साफ दिख रहा है कि कराची की सड़कों पर पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने-सामने हैं। कई जगह पथराव हुआ, बैरिकेड तोड़े गए और पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया। वीडियो की जांच में यह घटनाक्रम सत्यापित पाया गया है और यह कराची का ही है।
45 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, कई घायल — कराची में तनाव बढ़ा
पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने पहले पथराव किया, जिसके बाद कार्रवाई करनी पड़ी। झड़पों में कई लोग घायल हुए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। 45 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है, जिन्हें देशद्रोह, हिंसा, और सरकारी संपत्ति नुकसान पहुंचाने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
सिंधियों का आरोप — संसाधन लूटे गए, अधिकार छीने गए
सिंधी नेताओं का कहना है कि पाकिस्तान बनने के बाद से ही सिंध के संसाधन केंद्र सरकार द्वारा लगातार छीने गए हैं। उनका आरोप है कि—
- गैस व तेल का अधिकतर हिस्सा पंजाब और सेना के नियंत्रण में चला जाता है
- सिंधी भाषा हाशिये पर पहुंचाई गई
- स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता
- सिंध में पानी और विकास पर केंद्र सरकार राजनीति करती है
इन मुद्दों ने सिंध में अलगाववाद को गहराई से मजबूत किया है।
‘सिंधुदेश’ विचारधारा की जड़ें पुरानी हैं
सिंधुदेश आंदोलन सबसे पहले 1970 के दशक में जीएम सैय्यद ने शुरू किया था। तब से अब तक यह आंदोलन समय-समय पर उभरता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसे फिर गति मिली है। युवाओं में यह विचार तेजी से फैल रहा है कि पंजाब-प्रधान सत्ता ढांचे में सिंध का कोई भविष्य नहीं है।
पाकिस्तान की आर्थिक हालत ने बढ़ाया असंतोष
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले 2 वर्षों में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
- मुद्रास्फीति 30% से ऊपर
- बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर
- IMF कर्ज के दबाव में देश
- सेना का अत्यधिक नियंत्रण
इन कारणों ने पाकिस्तान की जनता में सरकार के प्रति रोष को बढ़ा दिया है। सिंध में यह रोष अब अलग देश की मांग में बदल रहा है।
कराची में अल्पसंख्यक समुदाय पहले से ही दबाव में
कराची पाकिस्तान का वित्तीय केंद्र है, लेकिन यहां के अल्पसंख्यक और स्थानीय सिंधी खुद को हाशिये पर महसूस करते हैं। उर्दू बोलने वाले प्रवासियों की बढ़ती आबादी और राजनीतिक दलों का वर्चस्व इसे और जटिल बना देता है।
रैली में शामिल लोगों ने कहा — “अब हम आज़ादी चाहते हैं”
वायरल वीडियो में कई प्रदर्शनकारी खुलेतौर पर कहते दिखाई दे रहे हैं कि सिंध पाकिस्तान से अलग होकर अपना स्वतंत्र राष्ट्र बनाएगा। उनका कहना है कि अब शांतिपूर्ण मांगें काफी नहीं हैं और “आजादी ही अंतिम समाधान” है।
पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया — सख्त कार्रवाई की चेतावनी
सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि देश में किसी भी तरह के अलगाववादी आंदोलन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने कराची में सुरक्षा बढ़ा दी है और कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा धीमी कर दी गई है।
सुरक्षा एजेंसियां कड़ी निगरानी में
ISI और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों ने हालात की गंभीरता को देखते हुए कराची में अतिरिक्त जवान तैनात कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ महीनों से सिंध में कई गुप्त ग्रुप सक्रिय हैं, जिन पर नजर रखी जा रही है।
क्या पाकिस्तान एक और विभाजन की ओर बढ़ रहा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति बहुत नाजुक है।
- बलूचिस्तान पहले से विद्रोह में
- पश्तून क्षेत्रों में असंतोष
- गिलगित-बाल्टिस्तान में आंदोलन
अब सिंध भी उबलने लगा है।
यह हालात पाकिस्तान को अंदर से कमजोर कर सकते हैं और विभाजन का खतरा पहले से बड़ा हो गया है।
भारत पर इसका क्या असर पड़ सकता है?
हालांकि भारत ने इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि—
- पाकिस्तान की अस्थिरता भारत की सुरक्षा चुनौती बढ़ा सकती है
- सीमाओं पर तनाव में वृद्धि हो सकती है
- आतंकवादी संगठनों की सक्रियता बढ़ सकती है
- क्षेत्रीय रणनीति में बड़े बदलाव आ सकते हैं
भारत को स्थिति पर लगातार निगरानी रखनी होगी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित
अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र पहले ही पाकिस्तान की मानवाधिकार स्थिति पर चिंता जता चुके हैं। अब सिंध में हिंसा बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ सकता है।
क्या ‘सिंधुदेश’ की मांग भविष्य में और मजबूत होगी?
अगर पाकिस्तान सरकार आर्थिक संकट, बेरोजगारी और प्रांतीय अधिकारों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाती, तो सिंध में अलगाववादी भावना और तेज हो सकती है। युवाओं के बीच यह विचार तेजी से फैल रहा है।
फिलहाल कराची में हालात तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में
पुलिस और रेंजर्स ने कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया है। प्रशासन दावा कर रहा है कि हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बताती है कि तनाव अभी भी गहरा है।
सोशल मीडिया निगरानी बढ़ी, कई अकाउंट ब्लॉक किए गए
पाकिस्तान सरकार ने #Sindhudesh हैशटैग चलाने वाले कई अकाउंट ब्लॉक कराए हैं। सरकार का कहना है कि इससे देशद्रोह फैल रहा है, जबकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह उनकी आवाज दबाने की कोशिश है।
यह वीडियो क्यों वायरल हुआ?
वीडियो में उग्र नारे, पुलिस का लाठीचार्ज और भगदड़ जैसी स्थिति दिख रही है। यह दृश्य दर्शाता है कि पाकिस्तान के भीतर गहरी अस्थिरता फैल चुकी है। इसी वजह से वीडियो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में है।
बड़ा संकट बन सकता है पाकिस्तान के भीतर उबलता असंतोष
कराची में ‘सिंधुदेश’ की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित किया है कि पाकिस्तान आज आंतरिक विभाजन के सबसे बड़े खतरे से गुजर रहा है। यदि हालात नहीं संभाले गए तो भविष्य में यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है
