कालभैरव जयंती 2025– तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा‑विधि और भगवान कालभैरव की कथा
कालभैरव जयंती 2025 बुधवार, 12 नवंबर को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 11 नवंबर रात 11:08 बजे शुरू होकर 12 नवंबर रात 10:58 बजे समाप्त होगी। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा‑विधि, भगवान कालभैरव की पौराणिक कथा और “ॐ भैरवाय नमः” मंत्र…।
कालभैरव जयंती 2025 – विस्तृत रिपोर्ट
- परिचय
कालभैरव जयंती, जिसे भैरव अष्टमी या काल भैरव जयंती भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र पर्व है। इस दिन भगवान शिव के उग्र स्वरूप भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भैरव अष्टमी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है और सामान्यतः नवंबर‑दिसंबर‑जनवरी में आती है। - 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- जयंती तिथि: बुधवार, 12 नवंबर 2025
- अष्टमी प्रारम्भ: 11 नवंबर 2025, रात 11:08 बजे
- अष्टमी समाप्त: 12 नवंबर 2025, रात 10:58 बजे
शुभ मुहूर्त (पूजा के लिए प्रमुख समय):
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:30 – 05:15 (12 नवंबर)
- विजय मुहूर्त: 09:45 – 10:30 (12 नवंबर)
- अभिजीत मुहूर्त: 11:45 – 12:30 (12 नवंबर)
इन समयों में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
- भगवान कालभैरव का परिचय
भगवान कालभैरव शिव के क्रोध का अवतार हैं। दो प्रमुख पौराणिक कथाएँ उनके उत्पन्न होने की बताती हैं: - त्रिदेव वाद‑विवाद कथा – ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के बीच श्रेष्ठता के विवाद में ब्रह्मा की कटु बात से शिव क्रोधित हुए। उन्होंने अपने क्रोध से भैरव को उत्पन्न किया और ब्रह्मा के पाँच सिरों में से एक को काटने का आदेश दिया। इस कार्य के बाद ब्रह्मा के केवल चार सिर बचे।
- ब्रह्मा के अपमान की कथा – जब ब्रह्मा ने शिव का अपमान किया, तब शिव के मस्तक से कालभैरव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्मा का एक सिर काट दिया। इस कारण भैरव पर ब्रह्महत्या का दोष लगा। पापमुक्ति के लिए उन्होंने कपाली व्रत धारण किया और नग्न अवस्था में पृथ्वी पर भ्रमण किया। अंत में काशी (वाराणसी) में उनका पाप समाप्त हुआ, जहाँ आज भी उनका प्राचीन मंदिर स्थित है।
- पूजा‑विधि (भैरव अष्टमी)
- प्रतिमा/चित्र स्थापित करें – काले पत्थर या धातु की भैरव मूर्ति को शुद्ध स्थान पर रखें।
- स्नान एवं शुद्धि – स्वयं को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कर शुद्ध हों।
- दीप‑ज्योत – सरसों के तेल का दीपक जलाएँ; काले तिल‑उड़द के दाल का भोग रखें।
- पुष्प एवं फल – काले फूल (जैसे काले गेंदा) और नारियल अर्पित करें।
- मंत्र जप – “ॐ भैरवाय नमः” मंत्र को 108 बार या अधिक जपें।
- रात्रि जागरण – अष्टमी की रात को जागरण कर भजन‑कीर्तन करें।
- प्रसाद वितरण – भोग के बाद प्रसाद को परिवार एवं पड़ोसियों में बांटें।
- कालभैरव मंत्र
ॐ भैरवाय नमः
इस मंत्र का नियमित जप करने से पापों से मुक्ति, मन की शांति और साहस प्राप्त होता है।
- समापन
कालभैरव जयंती पर भगवान भैरव की विशेष पूजा‑अर्चना से जीवन में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
