जापान ने मुस्लिम कब्रिस्तान की मांग ठुकराई: समुदाय की चिंता बढ़ी, स्थानीय विरोध तेज

जापान में मुस्लिम कब्रिस्तान की मांग दो बार खारिज हुई—पहले ओइटा प्रांत (2021) में और फिर मियागी प्रांत (2023) में। स्थानीय निवासियों ने पर्यावरण और भूजल प्रदूषण की आशंका जताई। पूरा घटनाक्रम पढ़ें।


📌 विवाद की शुरुआत

जापान में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन देश में इस्लामिक रीतियों के अनुसार दफनाने के लिए पर्याप्त कब्रिस्तान नहीं हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए स्थानीय संगठनों ने मुस्लिम कब्रिस्तान बनाने की अनुमति मांगी थी।


📌 ओइटा प्रांत का मामला (2021)

2021 में ओइटा प्रांत के हिजी (Hiji) कस्बे में मुस्लिम एसोसिएशन ने एक कब्रिस्तान बनाने का प्रस्ताव दिया।
साथ ही निकटवर्ती बेप्पू (Beppu) शहर के लोग भी दफन स्थल चाहते थे।


📌 स्थानीय लोगों का विरोध

हिजी कस्बे के निवासियों ने दावा किया कि—
• दफनाए गए शवों की वजह से भूजल प्रदूषण हो सकता है।
• पानी की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।
• आस-पास के इलाकों में दुर्गंध की समस्या होगी।


📌 प्रशासन का रुख

कस्बे की नगर परिषद ने कहा कि उपलब्ध वैज्ञानिक रिपोर्टें पर्यावरण सुरक्षा की पुष्टि नहीं करतीं।
इस आधार पर 2021 में प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।


📌 मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया

ओइटा मुस्लिम एसोसिएशन ने निर्णय को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि जापान में दफनाने की जगह ढूंढना वर्ष-दर-वर्ष कठिन होता जा रहा है।


📌 मियागी प्रांत का नया मामला (2023)

2023 में ओसाकी (Osaki), मियागी में भी मुस्लिम ग्रुप ने कब्रिस्तान निर्माण की अनुमति मांगी।
यहाँ भी स्थानीय निवासियों ने पहले जैसे ही तर्कों के साथ विरोध किया।


📌 अदालत तक मामला

मुस्लिम ग्रुप ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
लेकिन 2023 के अंत में मियागी जिला न्यायालय ने निर्माण पर रोक जारी रखी, यह कहते हुए कि स्थानीय विरोध को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।


📌 जापान में दफनाने की व्यवस्था

जापान में अधिकांश आबादी दाह संस्कार करती है।
इस कारण कब्रिस्तान निर्माण के नियम बहुत सख्त और स्थानीय मंजूरी पर निर्भर होते हैं।


📌 मुस्लिम आबादी में बढ़ोतरी

2010 में जापान में मुसलमानों की संख्या लगभग 1 लाख थी।
अब यह बढ़कर लगभग 2.5 लाख के आसपास पहुंच चुकी है।


📌 धार्मिक स्वतंत्रता की बहस

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि दफनाना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है और जापान को बेहतर समाधान खोजने की जरूरत है।


📌 प्रशासन का पक्ष

स्थानीय सरकारों का कहना है कि—
• निर्णय धार्मिक आधार पर नहीं,
• बल्कि पर्यावरण और स्थानीय निवासियों की चिंताओं पर आधारित है।


📌 जापान में विकल्पों की कमी

देश में मुस्लिम कब्रिस्तान बहुत कम हैं—
टोक्यो, हिरोशिमा और कुछ अन्य शहरों में ही सीमित जगह उपलब्ध है।


📌 मुस्लिम समुदाय की चिंता

कई प्रवासी परिवारों को मजबूरन अपने रिश्तेदारों के पार्थिव शरीर को
• भारत
• पाकिस्तान
• बांग्लादेश
• इंडोनेशिया
• मलेशिया
भेजना पड़ता है।


📌 बड़े पैमाने पर बहस शुरू

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने अंतरराष्ट्रीय बहस छेड़ दी।
कई लोगों ने इसे सांस्कृतिक असंगति, तो कई ने धार्मिक अधिकारों का मुद्दा बताया।


📌 मौजूदा स्थिति (2024-25)

हालिया अपडेट के अनुसार—
• 2021 (ओइटा–हिजी) और
• 2023 (मियागी–ओसाकी)
दोनों प्रस्ताव पूरी तरह खारिज किए जा चुके हैं, और वर्तमान में कोई नया कब्रिस्तान प्रोजेक्ट मंजूर नहीं किया गया है।


2️⃣ पूरी टाइमलाइन…संक्षेप में

📅 2018–2019

मुस्लिम बेस बढ़ा, कब्रिस्तान की मांग उठी।

📅 जुलाई 2021 – ओइटा (Hiji & Beppu) मामला

कब्रिस्तान निर्माण का प्रस्ताव → स्थानीय विरोध → नगर परिषद ने अनुमति रद्द की।

📅 अगस्त–दिसंबर 2021

समुदाय ने पुनर्विचार की अपील की, लेकिन निर्णय बरकरार रहा।

📅 अप्रैल 2023 – मियागी प्रांत (Osaki) मामला

नई जगह पर कब्रिस्तान बनाने का आवेदन।

📅 नवंबर 2023

स्थानीय निवासियों ने औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई।

📅 दिसंबर 2023 – अदालत का निर्णय

मियागी जिला अदालत ने विरोध के चलते निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।

📅 मई 2024—2025

कोई नया कब्रिस्तान प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हुआ।


3️⃣ फैक्ट-चेक (सार)

✔️ मामला सच है
✔️ दो बार कब्रिस्तान निर्माण रोका गया
✔️ 2021 (ओइटा–हिजी) और 2023 (मियागी–ओसाकी) में
✔️ कारण: पर्यावरण, भूजल प्रदूषण की आशंका, स्थानीय विरोध
✔️ धार्मिक आधार पर प्रतिबंध नहीं बताया गया


error: Content is protected !!