सत्ता पलट: पश्चिम अफ्रीका के Guinea-Bissau में सेना ने चुनाव प्रक्रिया रोककर देश का नियंत्रण किया
पश्चिम अफ्रीका के गिनी-बिसाऊ में 26 नवंबर 2025 को सेना ने तख्तापलट कर देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई, सीमाएं बंद की गईं और नया अंतरिम नेतृत्व नियुक्त किया गया। पढ़ें—देश की राजनीतिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय स्थिति पर पूरी रिपोर्ट।
गिनी-बिसाऊ: पश्चिम अफ्रीका का छोटा लेकिन अस्थिर देश
पश्चिम अफ्रीका में स्थित गिनी-बिसाऊ एक छोटा तटीय राष्ट्र है, जिसकी आबादी लगभग 22.5 लाख है। 1974 में पुर्तगाल से आज़ादी के बाद से देश लगातार राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। बार-बार सैन्य हस्तक्षेप और कमजोर प्रशासन इसे क्षेत्र के अस्थिर देशों में शामिल करते रहे हैं।
26 नवंबर 2025: फिर हुआ तख्तापलट
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, 26 नवंबर 2025 को देश में अचानक सैन्य गतिविधि बढ़ी और उसी दिन सेना ने “टोटल कंट्रोल” की घोषणा कर दी।
- राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई
- देश की सीमाएं तत्काल प्रभाव से बंद
- सरकारी भवनों, प्रसारण केंद्रों और मुख्य ठिकानों पर सैन्य कब्जा
यह कदम आगामी चुनावों से कुछ दिन पहले उठाया गया, जिससे समूचे अफ्रीका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई।
अंतरिम नेतृत्व की नियुक्ति
कूप के बाद सेना ने नया अंतरिम नेतृत्व घोषित किया—
- अस्थायी राष्ट्रपति: Horta Inta-a
- अस्थायी प्रधानमंत्री: Ilídio Vieira Té
पूर्व राष्ट्रपति और उनके समर्थक अभी भी नजरों से दूर हैं, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील बनी हुई है।
आर्थिक स्थिति: विकास की राह में बाधाएं
देश की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है।
- प्रति व्यक्ति आय: USD 1100 के आसपास
- मुख्य आय स्रोत: काजू उत्पादन और कृषि
- विश्व बैंक के अनुसार: GDP ग्रोथ 2025 में ~5% रहने का अनुमान था
- बेरोज़गारी और गरीबी बड़ी चुनौतियाँ
राजनीतिक अस्थिरता के कारण विदेशी निवेश और आर्थिक सुधारों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
जनसंख्या और सामाजिक ढांचा
- कुल आबादी: 2.25 मिलियन
- मीडियन आयु: केवल 19–20 वर्ष
- युवा आबादी अवसरों की तलाश में, पर रोजगार के साधन सीमित
बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ कमजोर हैं, जिससे विकास की गति सामान्य से बेहद धीमी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चिंता और कूटनीतिक दबाव
ECOWAS, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और कई अफ्रीकी देशों ने इस सैन्य कार्रवाई की निंदा की है।
सेनेगल के प्रधानमंत्री ने इसे “शेम कूप” कहा और लोकतांत्रिक ढांचे को तुरंत बहाल करने की मांग की।
भविष्य की दिशा: चुनौतियाँ और उम्मीदें
गिनी-बिसाऊ के सामने दो बड़ी राहें हैं—
- राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक पुनर्स्थापना
- आर्थिक सुधार, प्रशासनिक पारदर्शिता और निवेश आकर्षित करना
अगर देश स्थिर शासन स्थापित कर लेता है तो कृषि, समुद्री संसाधनों और पर्यटन के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।
🌍 गिनी-बिसाऊ — देश परिचय
नाम एवं स्थान
- गिनी-बिसाऊ एक पश्चिम अफ़्रीकी देश है, जो सैनेगल और गिनी (Guinea) के बीच स्थित है।
- राजधानी: Bissau (बिसॉ) है।
राष्ट्रीयता / भौगोलिक तथ्य
- यह देश 1974 में पुर्तगाल से स्वतंत्र हुआ।
- इसके बावजूद, राजनीतिक अस्थिरता और बार-बार सैनिक हस्तक्षेप इसकी स्थायी मजबूती नहीं बनने दे पाए।
📊 आबादी, मानविकी और आर्थिक स्थिति
आबादी (Population)
- 2025 के आँकड़ों के अनुसार, गिनी-बिसाऊ की आबादी लगभग 2.25 मिलियन (≈ 2,255,000) है।
- आबादी घनत्व लगभग 80 प्रति किलोमीटर² है।
- युवा आबादी (मीडियन आयु ~ 19–20 वर्ष) है, यानी जनसंख्या काफी कम-उम्र है।
आर्थिक संकेतक
- 2024 में देश की वास्तविक GDP वृद्धि ~ 4.8% रही; 2025 में IMF–World Bank अनुमानों के अनुसार ~ 5.0–5.5% अनुमानित है।
- 2024 की CPI आधारित महंगाई दर लगभग 3.8% रही।
- पर व्यक्ति GDP (per capita) 2024 में लगभग US$ 1,104 था।
- बेरोज़गारी औपचारिक रूप से बहुत कम दिखती है — लेकिन यह आंकड़े “औपचारिक रोजगार + सर्वश्रेष्ठ अनुमान” मिलाकर हैं; गरीबी और असंगठित श्रमिकों की संख्या अभी भी बहुत अधिक है।
आर्थिक संरचना
- रोजगार का भारी हिस्सा कृषि, काजू उत्पादन एवं निर्यात, और सर्विस सेक्टर में है।
- सरकार के राजस्व संग्रह कम (tax-to-GDP अनुपात पश्चिम अफ्रीकी मानदंड से कम); वित्तीय सुधार, कराधान सुधार व निगरानी बढ़ाने की सलाह दी गई है।
⚠️ राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता-पलट — हाल की खबर
पिछला इतिहास
- 1974 से आज तक, गिनी-बिसाऊ में कई बार तख्तापलट हुए; आज़ादी के बाद यह देश राजनीतिक अस्थिरता, मिली भगत, भ्रष्टाचार और … कभी-कभी ड्रग तस्करी के कारण “अस्थिर राज्य” माना जाता रहा है।
2025 का हाल — ताजातरीन कूप
- 26 नवम्बर 2025 को, राष्ट्रपति एवं विधायी चुनावों से ठीक पहले, देश में सेना ने “कुल नियंत्रण” (total control) घोषित किया। चुनाव प्रक्रिया स्थगित कर दी गई, और सीमाएं सील कर दी गईं।
- साथ ही, सेना ने घोषणा की कि देश पर अस्थायी सैन्य नेतृत्व काबिज हुआ है।
- नये अस्थायी राष्ट्रपति बने: Horta Inta‑a, और नए प्रधानमंत्री के रूप में Ilídio Vieira Té नियुक्त किया गया।
- यह कूप 2025 में हुआ है, और इससे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया, चुनावी भविष्य व राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- क्षेत्रीय संगठन ECOWAS (पश्चिम अफ्रीकी आर्थिक समुदाय) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने इस तख्तापलट की निंदा की है।
- साथ ही, सामूहिक दबाव व मध्यस्थता प्रस्तावित किए गए हैं।
🔎 बड़ी चुनौतियाँ और आशाएं
बड़ी चुनौतियाँ
- लगातार राजनीतिक अस्थिरता — बार-बार सेना का हस्तक्षेप, चुनाव प्रक्रिया में रुकावट।
- गरीब आर्थिक आधार — प्रति व्यक्ति GDP और आमदनी बहुत कम; भू-कृषि + काजू पर निर्भर अर्थव्यवस्था।
- विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा कमजोर। निवेश और आर्थिक विविधीकरण की कमी।
- ड्रग तस्करी, भ्रष्टाचार, प्रशासनिक कमजोरी — जो स्थिरता में बाधा बनते रहे।
संभावित सुधार व आशाएं
- IMF और वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के अनुसार — 2025–2028 में आर्थिक विकास का अनुमान 5%+ है, बशर्ते सुधारात्मक नीतियाँ लागू हों।
- यदि राजनीतिक स्थिरता व संवैधानिक व्यवस्था फिर से कायम हो जाए — तो युवा आबादी, कृषि व निर्यात (विशेषकर काजू), और सेवाक्षेत्र को विकास की दिशा मिल सकती है।
- पर्यावरणीय व प्राकृतिक संसाधन, समुद्री द्वीप (जैसे Bijagós Archipelago) — पर्यटन व जैव-विविधता के आधार हो सकते हैं।
📝 निष्कर्ष
गिनी-बिसाऊ एक छोटा लेकिन जटिल देश है — जहाँ आबादी कम है, आर्थिक संकेतक कमजोर हैं, लेकिन संसाधन और युवा शक्ति मौजूद है। हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता, तख्तापलट और प्रशासनिक कमजोरी ने उसकी प्रगति को बार-बार बाधित किया है।
2025 के हालिया कूप ने एक बार फिर इस अस्थिरता को उजागर कर दिया है। अगर देश लोकतांत्रिक, संवैधानिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाए — तो गिनी-बिसाऊ के लिए विकास व पुनरुद्धार की सम्भावना है।
