UP में घरेलू उपभोक्ता की श्रेणी में आने को तैयार नहीं बिजली अधिकारी और कर्मचारी, मीटर लगाने का विरोध

उमेश लव, लव इंडिया, लखनऊ/ मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने कई साल पहले आम उपभोक्ताओं की तरह ही बिजली विभाग के कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाए जाने पर फैसला दिया था। इसमें आयोग ने कहा था कि सभी बिजली अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा, लेकिन कई वर्ष बीत गए। अभी तक स्मार्ट मीटर लगाने की बात तो दूर इस तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ाया गया। मगर शासन की सख्ती के चलते एक बार फिर से विघुत विभाग ने बिजली अधिकारियों, कर्मचारियों और सेवानिवृत हो चुके अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां इस स्मार्ट मीटर लगाने का आदेश दिया है। इससे बिजली अधिकारियों, कर्मचारियों और पेंशनर्स की रातों की नींद उड़ गई है और दिलों की धड़कनें भी बढ़ गई है और उन्होंने एकत्र होकर विरोध करने का निर्णय किया है।

यही वजह है कि भीषण गर्मी में बिजली कर्मी बिजली का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें बिल भी नाम मात्र का भरना पड़ रहा है. जबकि आम उपभोक्ताओं पर बिजली के बिल का भार काफी भारी पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि बिजली कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाए जाने का विरोध कई यूनियन नेताओं ने किया है, जिसके चलते अभी पावर कॉरपोरेशन फैसला ही नहीं ले पाया है।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में है। इसकी भरपाई हो पाना बेहद मुश्किल हो रहा है। घाटे को कम करने के लिए लगातार बिजली सप्लाई के एवज में उपभोक्ताओं से बिल वसूली को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन, जिस उम्मीद के साथ पावर कॉरपोरेशन राजस्व वसूली अभियान चलता है। वह कामयाब नहीं हो रहा है, क्योंकि राजस्व वसूली के लक्ष्य से अधिकांश उपकेंद्र काफी पीछे रह जा रहे हैं।यही कारण है कि पावर कारपोरेशन का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं अब बिजली विभाग के कर्मचारी जो जमकर बिजली जलाते हैं और इसके एवज में उन्हें नाम मात्र का बिल भरना पड़ता है, इससे भी कारपोरेशन को काफी नुकसान होता है. इसी को ध्यान में रखकर विद्युत नियामक आयोग ने कुछ माह पहले विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, लेकिन जब बात बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर आई तो अभी तक मीटर लगाने को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा गया है.
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बिजली भरपूर लेकिन बिल के नाम पर खानापूर्ति
इस घाटे का एक कारण बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनर्स, संविदा कर्मचारी, विभागीय ठेकेदार भी हैं जो जमकर बिजली जलाते हैं और इसके एवज में नाम मात्र का बिल भरते है। इससे भी कारपोरेशन को काफी नुकसान हो रहा है।
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इसी को ध्यान में रखकर विद्युत नियामक आयोग ने कई साल पहले विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों व पेंशनर्स के घरों पर भी स्मार्ट मीटर लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने अभी तक मीटर लगाने को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया।
कर्मचारियों को कर दिया है टैरिफ शेड्यूल से बाहर
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने अपने फैसले में बिजली कर्मचारियों यानी कि विभागीय कार्मिकों का जो एलएमवी- 10 था, उसे टैरिफ शेड्यूल्ड से बाहर कर दिया गया है। मतलब, अब सभी बिजली कार्मिक घरेलू विद्युत उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे। सभी बिजली कार्मिकों के घरों पर फिर से अनिवार्य रूप से मीटर लगाने का आदेश आयोग की तरफ से दिया गया है। मालूम हो कि बिजली विभाग के कर्मचारियों से ऑटोमेटिक बिजली बिल की वसूली हो जाती है। उनके वेतन से ही बिजली बिल का पैसा कटता है। इसके एवज में हर माह 210 करोड रुपए बिना किसी मेहनत के पावर कारपोरेशन को मिलते हैं।
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क्या कहते हैं यूनियन नेता
नियामक आयोग ने जब बिजली कार्मिकों के घर पर मीटर लगाने का फैसला सुनाया तो इसे लेकर विरोध शुरू हो गया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति मुरादाबाद के महासचिव जितेंद्र गौड़ का कहना है कि विभागीय स्तर पर अधिकारियों/ कर्मचारियों/ पेंशनर्स के आवासों पर मीटर लगाने की प्रक्रिया विभाग द्वारा प्रारम्भ की गयी है जिसको लेकर जनपद के समस्त अधिकारियों/ कर्मचारियों/ पेंशनर्स में अत्यधिक रोष व्याप्त है। अतः मीटर लगाये जाने के विरोध में मुरादाबाद जनपद पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का गठन कर लिया गया है जो मीटर लगाने के निर्णय का पूर्ण विरोध करती है। अतः तत्काल प्रभाव से मीटर लगाने की प्रक्रिया पर रोक लगायी जाए क्योंकि उप्र राज्य विद्युत परिषद के सन् 2000 में विघटन के समय कर्मचारियों एवं शासन/ प्रशासन के मध्य लिखित समझौता हुआ था कि विद्युत विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों/ पेंशनर्स को विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधा कमतर नही होगी। ऐसे में मीटर लगाकर विद्युत आपूर्ति देना समझौते का खुला उल्लंघन है एवं असंवैधानिक हैं।
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अधिकारी भी कर रहे विरोध
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति मुरादाबाद के संरक्षक इंजीनियर प्रवीण कुमार भीम मीटर लगाए जाने के खिलाफ हैं। कहा जब मीटर लग जाएंगे तो घर घर जाकर वसूली करनी होगी। इससे पावर कारपोरेशन राजस्व लक्ष्य से और भी पीछे रह जाएगा। लिहाजा, कर्मचारियों के घर पर मीटर लगाने का फैसला ठीक नहीं है।