EK TU SACHCHA TERA NAM SACHCHA: पाखंड-कुटिलता और छल-कपट से हो जाता धर्म का नाश

मुरादाबाद। सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालों का दिव्य सत्संग को सैलीब्रेशन बैंकट हॉल, पुलिस लाइन के सामने

लव इंडिया, मुरादाबाद। एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलस्न्दे वालों ने सैलीब्रेशन बैंकट हॉल, पुलिस लाइन, मुरादाबाद में उपस्थित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये कहा- एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा, हे परमेश्वर ! तू सच्चा है तेरा नाम सच्चा है। “विद्या उत्थाने खेचरी शिवावस्था” हमारे भीतर जब विद्याा का ज्ञान उदय होता है तो हमारे भीतर ईश्वर तत्व का उदय होता है। संसार में रहते हुये भी हम संसार से अलग रहते हैं। इस संसार को देखते हुये भी इसको नहीं देखते। परमात्मा की तरफ को देखते रहते हैं, संसार की बातों को सुनते हुये भी हम परमात्मा की तरफ को ही देखते हैं उसकी दिव्य वाणी को अन्तःकरण से सुनते रहते है। लोगो के साथ वार्तालाप करते हुये भी बोलते हुये भी हम उनसे नहीं बोलते हम तो उस परमात्मा से बोलते रहते हैं। ये जीवन की शिव अवस्था, खेचरी मुद्रा, खेचरी अवस्था है ये जीवात्मा रूपी पशु ही उस पशुपति के स्पर्श से, उसके प्यार को पाके, उसकी करूणा को पाके उसी जैसा बन जाता है, पशुपति बन जाता है, ब्रह्मरूप बन जाता है, शिव तत्व में एकाकार हो जाता है, परम आत्मा बन जाता है।


इस दिव्य सत्संग का आयोजन धर्मार्थ समिति के तत्वाधान में देवपुत्री निर्जला सिंह द्वारा कराया गया। ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलस्न्दे वालों ने कहा कि हे साधुओं! इस जीव आत्मा का उस सनातन ब्रह्म से मिल, ये मिलन अपने आप नहीं हो सकता। जैसे लकड़ी रखी है, रखे रखे उस लकड़ी में अग्नि जाग्रत नहीं हो सकती, ऐसे ही कोई जीव आत्मा अपनेभीतर व्यं उस परब्रह्म को जाग्रत नहीं कर सकता, बगैर गुरू के। गुरू वो उपाय वो साधना वो तरीका हमको प्रदान करते हैं और केवल तरीका ही नहीं अपनी दिव्य आत्म शक्ति का प्रवाह हमारी तरफ को जब उतारते है। तब साधना के द्वारा मंत्र जप के द्वारा मस्तक में सांसों के आरोह अवरोह के द्वारा मेरूदण्ड में जो हमारे शरीर में कमर में स्थित है उसमें अलग-अलग स्थानों पर ब्रह्म शक्ति का उदय प्रकट होता है। गुरु ही इसमें एक मात्र उपाय हैं। गुरु के शरीर को हमें उस ईश्वर का निराकार का विग्रह साकार रूप जानना चाहिये।

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ऋषि सत्पुरुष बाबा फुलस्न्दे वालों ने कहा कि जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है, संयम से रहता है, उसके भीतर से ईश्वर की सुगन्ध आती है। संयम से मनुष्य कान्तिवान बनता है और वह ऊर्जा और चेतन के शिखर पर पहुंचता है। कोध से तप का, काम से बुद्धि का, अन्याय से लक्ष्मी का, अभिमान से विद्या का तथा पाखण्ड कुटिलता और छल-कपट से घर्म का नाश हो जाता है। अभी मैं नौजवान हूं, अभी मेरी मृत्यु बहुत दूर है, ऐसी बात चित्त में कभी नहीं लानी चाहियें। बृद्धावस्था आने से पहले ही अपने मन और वाणी को पवित्र बना के परमब्रहम के सुमरन और ध्यान में लगाना चाहिये। है देवपुत्रों! जितना बड़ा इन्सान का लोभ लालच होता है उतनी ही बड़ी उसकी निराशा और असफलता होती है, पंछी परन्द, दाने के लालच में जाल में फंसता है, तू दुनियां की दौलत को इकट्ठा ना कर उस रब का इश्क ही सच्ची दौलत है। गुरु के घर से वो तुझे मिलेगा उसे इक‌ट्ठा कर। लोभ, लालसा और कामना और वासना के जाल में फंसा हुआ इन्सान हमेशा अतृप्त, असन्तुष्ट और अशान्त रहता है, भले ही उसे सारे संसार का राज्य क्यों ना मिल जावे, जिन्दगी का धागा बहुत छोटा है इसलिये लम्बी चौड़ी उम्मीदों को छोड़ दे। ये उम्मीदे तेरी रूह पे फन्दे और पिंजरे हैं इन पिंजरों को तोड़ दे अपने रब की तरफ को उड़ान भर। दुनियां में वो ही खुश किस्मत इन्सान है जिसने अपने चारों तरफ निगाह डालकर ये सीखा कि दुनियां की संगति छोड़कर अपने लिये एकान्त वालो को ना दूड़ दुनियां की नेकी बदी से डर उस रब की दोस्ती में दिन और रातों को बिता। आत्मा परमात्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, जो इनको माने नही वो मूरख अज्ञान है। वेद केवल किताब नहीं वो है सच्चा ज्ञान, ज्ञान बिना हर मनुष्य है पशु के समान।

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