टेक्नोलॉजी में युग बदलने की पॉवर, लेकिन ह्यूमन वैल्यूज अनिवार्य

लव इंडिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की ओर से एजुकेशन 5.0: ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर दो दिन आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस का समापन हो गया।

बतौर मुख्य अतिथि डॉ. बी.आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ के वीसी एवम् टीएमयू के फाउंडर वीसी प्रो. आर.के. मित्तल बोले, टेक्नोलॉजी में वह पॉवर है, जो युग को बदल सकती है। समय – स्थिति -परिस्थिति को परिवर्तित कर सकती है, बशर्ते उसका उपयोग ज्ञान-नवाचार-सृजन और औचित्यपूर्ण समझ से युक्त हो, जो विकास की परिचायक हो, विनाश की नहीं । शिक्षा और टेक्नोलॉजी का संगम ही है, जो हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है। टेक्नोलॉजी ने शिक्षा को अधिक सुलभ, सरल और प्रभावी बनाया है, जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद पाते हैं। आज के समय में ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल क्लासरूम और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म ने शिक्षा को एक नए स्तर पर पहुंचाया है।

कहा कि टेक्नोलॉजी ने हमें शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की है, और हमें अपने समाज और देश के लिए कुछ करने का अवसर प्रदान किया है। प्रो. मित्तल तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की ओर से एजुकेशन 5.0: ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर दो दिन आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन में ऑनलाइन बोल रहे थे।

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) – “एडुकेशन 5.0: ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन” राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन


सम्मेलन का उद्घाटन
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन और कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स ने दो‑दिनी राष्ट्रीय सम्मेलन “एडुकेशन 5.0: ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन” का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

मुख्य अतिथि – डॉ. बी. आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति
समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बी. आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के कुलपति एवं टीएमयू के संस्थापक कुलपति प्रो. आर. के. मित्तल उपस्थित रहे। उन्होंने कहा, “टेक्नोलॉजी में वह शक्ति है जो युग को बदल सकती है, परन्तु उसका उपयोग ज्ञान‑नवाचार‑सृजन और उचित समझ से होना चाहिए, न कि विनाश के लिये।”

टेक्नोलॉजी और शिक्षा का संगम


प्रो. मित्तल ने बताया कि टेक्नोलॉजी ने शिक्षा को अधिक सुलभ, सरल और प्रभावी बनाया है। ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल क्लासरूम और ई‑लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म ने शिक्षण‑शिक्षा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, जिससे विद्यार्थी अपने लक्ष्य शीघ्र प्राप्त कर सकते हैं।

शिक्षा 5.0: नया परिप्रेक्ष्य
सम्मेलन में “एडुकेशन 5.0” की अवधारणा पर चर्चा हुई। यह मॉडल मानव मूल्यों, आत्म‑बोध, संवेदनशीलता और नवाचार को जोड़ता है, जिससे युवा न केवल तकनीकी रूप से सक्षम बल्कि सामाजिक‑नैतिक रूप से भी सशक्त बनें।

विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति

  • प्रो. शेखर चंद्र जोशी (सोनवां सिंह जीना यूनिवर्सिटी, अल्मोड़ा)
  • डॉ. विक्रम सिंह (बीएचयू, फिजिकल एजुकेशन विभाग)
  • प्रो. रजनी राजन सिंह (डेल्ही यूनिवर्सिटी)
  • डॉ. ओम प्रकाश (सिनियर शिक्षाविद्, दिल्ली सरकार)
  • डॉ. विशेष गुप्ता (समाजशास्त्री)
  • प्रो. वीके जैन (टीएमयू के कुलपति)
  • प्रो. एमपी सिंह (डीन, स्टूडेंट्स वेलफ़ेयर)
  • डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. विनोद जैन, प्रो. मनु मिश्र, श्री रविन्द्र देव आदि।

डॉ. विशेष गुप्ता का उद्बोधन – शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य


संगोष्ठी के बतौर विशिष्ट अतिथि जाने – माने समाजशास्त्री डॉ. विशेष गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा ही वह आधार है जो जीवन को विविधतापूर्ण, सृजनशील और मूल्यपरक बनाती है। बोले, शिक्षा केवल ज्ञान का संग्रह नहीं, बल्कि वह जीवन के अनुभवों को दिशा देने की प्रक्रिया है। शिक्षा व्यक्ति के भीतर निहित उन गुणों को जागृत करती है, जो उसे न केवल बौद्धिक रूप से प्रखर बनाते हैं, बल्कि सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक रूप से भी विकसित करते हैं। डॉ. गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक मानव में गुण, क्षमता और संभावनाएं पहले से ही विद्यमान होती हैं, परंतु उन्हें सही दिशा और मंच देने की आवश्यकता होती है। शिक्षा वही शक्ति है जो व्यक्ति को ‘स्व’ के वैशिष्ट्य को पहचानने और अपने अंतर्निहित सामर्थ्य को समाजोपयोगी उपलब्धि में रूपांतरित करने में समर्थ बनाती है। उन्होंने कहा, शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल परीक्षा उत्तीर्ण करना नहीं, बल्कि जीवन को प्रबुद्ध विचार, सकारात्मक दृष्टिकोण और मानवीय मूल्य प्रदान करना है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब हम विद्यार्थी को ऐसा वातावरण देते हैं जिसमें वह स्वतंत्र रूप से सोच सके, सृजन कर सके और प्रश्न पूछने का साहस रखे, तभी शिक्षा अपनी वास्तविक गरिमा को प्राप्त करती है। यही वातावरण उसे न केवल आत्मनिर्भर बनाता है, बल्कि उसे समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी नागरिक के रूप में भी तैयार करता है। अंत में डॉ. गुप्ता ने कहा कि आज ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो युवाओं को आत्मबोध, संवेदनशीलता और नवाचार से जोड़े। उन्होंने कहा,शिक्षा तब सार्थक होती है जब वह व्यक्ति को यह बोध कराए कि वह स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। जब हम अपने भीतर के श्रेष्ठतम स्वरूप को पहचानते हैं, तभी हम समाज और राष्ट्र की प्रगति में सच्चे अर्थों में सहभागी बन पाते हैं। उनके शब्दों ने सभागार में उपस्थित सभी शिक्षकों, विद्यार्थियों और अतिथियों को गहन प्रेरणा से भर दिया और यह संदेश दिया कि शिक्षा का लक्ष्य केवल सफलता नहीं, बल्कि श्रेष्ठता का निर्माण है।

प्रत्येक युग में शिक्षा ने मानव सभ्यता को दी नई दिशा:वीसी


प्रोप्रेरक उद्बोधन में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. वीके जैन ने कहा कि नेतृत्व कौशल ही जीवन की सर्वोच्च उपलब्धियों का वास्तविक वाहक है। शिक्षा के विविध क्षेत्र — चाहे वह फाइन आर्ट्स हो, फिजिकल एजुकेशन हो या शिक्षा का मुख्य अधिष्ठान, सभी मिलकर जीवन में सौन्दर्य, अनुशासन, रचनात्मकता और मानवीय संवेदनाओं का संचार करते हैं। प्रो. जैन बोले, यदि हम अपने इतिहास और परम्परा के पन्नों को पलटें, तो पाते हैं कि प्रत्येक युग में शिक्षा ने मानव सभ्यता को नई दिशा प्रदान की है।

उन्होंने उदाहरण स्वरूप कहा स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को आत्मबल और राष्ट्रनिर्माण का माध्यम बनाया तो नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा ने करुणा और सेवा के माध्यम से शिक्षा को मानवता का पर्याय बनाया।नारी एजुकेशन की प्रबल पैरोकार सावित्रीबाई फुले ने सामाजिक न्याय और नारी–शिक्षा के लिए जो दीप प्रज्वलित किया, उसने भारतीय समाज को नई चेतना दी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘नैतिकता और कर्म’ को शिक्षा की आत्मा माना तो नेल्सन मंडेला ने कहा कि दुनिया में शिक्षा सबसे मजबूत औजार बताया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शिक्षा को सृजनात्मक स्वतंत्रता की आत्मा बताया।

प्रो. जैन बोले,आज का युग तकनीकी प्रगति का है, परंतु तकनीक तभी कल्याणकारी बनती है जब उसमें नीति, मूल्य और करुणा का समन्वय हो। अंत में उन्होंने अपने प्रेरक शब्दों में कहा ,शिक्षा का उद्देश्य केवल रोज़गार नहीं, बल्कि चरित्र और चेतना का निर्माण है। यदि प्रत्येक शिक्षार्थी अपने भीतर नेतृत्व, करुणा और नैतिकता के दीप प्रज्वलित करे,
तो निश्चय ही टीएमयू जैसी संस्थाएं भारत ही नहीं, सम्पूर्ण मानवता के उज्जवल भविष्य की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होंगी।

बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड
सम्मेलन के अंत में सात बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड प्रदान किए गये:

  •  वीरेंद्र कुमार
  • समीक्षा सिंह
  • प्रदीप सैनी
  • तान्या चौधरी
  • शैलेन्द्र सिंह चौहान
  • अभिषेक कुमार
  • प्रियंका

समापन और भविष्य की दिशा

  • समापन सत्र में सभी उपस्थित विद्वानों, छात्रों और अतिथियों ने इस दो‑दिनीय कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी का धन्यवाद किया। यह सम्मेलन यह प्रमाणित करता है कि “टेक्नोलॉजी + मानव मूल्य = भविष्य की शिक्षा”। संचालन डॉ. पवन बिष्ट और डॉ. पूनम चौहान ने किया।

कॉन्फ्रेंस में प्रो. श्याम सुंदर भाटिया, डॉ. मधुसूदन,शिवांकी रानी, डॉ. मुक्ता गुप्ता, श्री महेश कुमारके अलावा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन से डॉ. अगम प्रताप , श्री तोहिद अख्तर, श्री कुशाग्र दीक्षित, श्री मुकेश कुमार, कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स से डॉ. फरहा दीबा, श्री अंकुर देव , श्री वैभव झा,श्री प्रवेश चंद्र वर्मा, श्री राजेश कुमार, सना तबस्सुम और शिक्षा संकाय से डॉ. सुगंधा जैन,डॉ. रंजीत सिंह, डॉ. शिवानी यादव, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. रवि प्रकाश डॉ सुनील पांडे, डॉ. अर्पिता त्रिपाठी डॉ नाहिद बी डॉ रूबी शर्मा, डॉ शेफाली,श्री धर्मेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।

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