Dr. Shyama Prasad Mukherjee की स्मृति में Ram Vatika में चंदन एवं अमरक के औषधीय पौधों का रोपण

मुरादाबाद। वन्दे भारत संस्कार संस्कृति संवाहक के तत्वावधान में आज स्वातंत्र्योत्तर भारत की एकता और अखंडता के रक्षार्थ भारत माता के आर्त पुकार पर सबसे पहले दौड़ पड़ने वाले महापुरुष भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अपने युग के अप्रतिम तेजस्वी सांसद डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी 23 जून 1953 को, भारत माता के मणि-किरीट जम्मू कश्मीर में मातृभूमि की बलिवेदी पर चढ़ गए थे।
उनकी स्मृति में आवास विकास सिविल लाइन के राम वाटिका में चंदन एवं अमरक के औषधीय पौधों का रोपण किया गया। मुख्यातिथि डा. विशेष गुप्ता ने कहा स्वाधीन भारत की अखंडता और प्रभुसत्ता के लिए डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रथम बलिदान था, जो इतिहास के पन्नों में देदीप्यमान है। उन्होंने जनसंघ की स्थापना कर वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा प्रस्तुत की, जो आज भाजपा के रूप में देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
कार्यक्रम संयोजक धवल दीक्षित ने उन्हें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा बताते हुए कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए बलिदान दिया। यह पौधे सदैव उनके राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान की स्मृतियों को जीवंत रखेंगे और युवाओं को सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।
पौधारोपण में सर्वेश कुमार वर्मा, रुप नारायण शर्मा, राजेश गुप्ता, हरिहर नाथ कपूर आदि रहे।

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