consumer court में नहीं चली मनमानी, reserved ticket की अब चार गुना रकम देगा Railway
लव इंडिया संभल। यह रेलवे है जो यह दावा करता है कि वह यात्रियों की हर सुविधा का ख्याल लगता है लेकिन संभल जनपद के चंदौसी के एक व्यक्ति के साथ रेलवे ने चोरी और सीनाजोरी की नीति अपनाई और टिकट के पैसे वापस नहीं किया। इस पर उपभोक्ता अदालत में सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे को टिकट के ₹360 के बदले 1560 रुपए अदा करने के आदेश दिए हैं।

चंदौसी निवासी रमेश बाबू शर्मा अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल से वापिस आने के लिए रुड़की से चंदौसी तक की यात्रा लखनऊ चंडीगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन से पूर्ण करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपनी टिकिट आरक्षित करायी नियत समय दिनांक को अत्यधिक बर्षा होने के कारण ट्रेन रुड़की रेलवे स्टेशन पर नहीं पहुंची तो उन्होंने अपनी टिकट की जमा धनराशि बापिस मांग की तो टिकिट काउंटर पर उन्हें धनराशि देने से मना कर दिया गया।

इस पर उन्होंने उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता लवमोहन वार्ष्णेय से संपर्क कर अपनी व्यथा बताई तब एक नोटिस रेलवे विभाग को भेज कर टिकिट की धनराशि और नोटिस भेजने का शुल्क 1200रु की मांग की गई जिसका अनुपालन रेलवे विभाग द्वारा नहीं किया गया।

इह पर उनकी ओर से एक परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग सम्भल में योजित किया आयोग द्वारा रेलवे विभाग को तलब किया गया और टिकिट की धनराशि न देने का कारण पूछा तो कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया गया तब आयोग ने दोनों पक्षों की बहस सुनी जिस पर परिवादी के अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय द्वारा आयोग को बताया गया कि जब ट्रेन निर्धारित तिथि को स्टेशन पर आई ही नहीं तो अन्य साधनों से रमेश बाबू शर्मा ने अपनी यात्रा पूर्ण की जिससे उन्हें अधिक समय और अधिक धनराशि अदा करनी पड़ी रेलवे ने भी टिकट के 360रु अदा नहीं किए हैं।

आयोग ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद रेलवे के मंडलीय कार्यालय मुरादाबाद को आदेश दिया कि वह परिवादी की टिकट का मूल्य 360 रु और नोटिस व्यय के 1200 रु कुल 1560 रु मय 7% वार्षिक ब्याज परिवाद संस्थान के दिनांक से अंदर दो माह में अदा करें तथा परिवादी को हुए मानसिक कस्ट एवं आर्थिक हानि के मद में 10000 दस हजार रुपए एवं बाद व्यय की मद में 5000रु अन्दर दो माह में अदा करें। नियत अवधि में धनराशि अदा न करने पर ब्याज की धनराशि 9% वार्षिक देय होगी।
