Communist Party of India (Marxist) ने V.S. Achuthanandan और Rampal Singh को अर्पित की श्रद्धांजलि

लव इंडिया, मुरादाबाद। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) मुरादाबाद की जिला कमेटी ने आज आकस्मिक बैठक करके कल 21 जुलाई 2025 को लंबी बीमारी के बाद तिरुअनंतपुरम में कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन और तहसील ठाकुरद्वारा के गांव काला झांडा में जिला मुरादाबाद के पूर्व जिला सचिव कामरेड रामपाल सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वक्तव्य जारी किया।

कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन को श्रद्धांजलि

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी मुरादाबाद, देश में कम्युनिस्ट आंदोलन के एक महान और दिग्गज नेता वी.एस. अच्युतानंदन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है।


कामरेड अच्युतानंदन जिन्हें प्यार से वी एस कहा जाता था। वयोवृद्ध 101 वर्षीय अच्युतानंदन पार्टी पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य थे। वो एक कुशल और अनुशासित संगठनकर्ता थे, जिन्होंने केरल में विभिन्न संघर्षों का नेतृत्व किया और नारियल के रेशे से जुड़े मज़दूरों को संगठित किया।
1940 में, जब वे मात्र सत्रह वर्ष के थे, वी.एस. कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए।

उन्होंने कुट्टनाड में खेतिहर मज़दूरों के बीच काम किया, जो ज़मींदारों द्वारा भयंकर शोषण के शिकार थे। त्रावणकोर के दीवान के विरुद्ध पुन्नप्रा-वायलार विद्रोह के दौरान, वी.एस. को भूमिगत होना पड़ा। गिरफ़्तार होने के बाद, उन्हें हिरासत में गंभीर यातनाएँ दी गईं।


वी.एस. 1956 में संयुक्त कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य समिति और 1958 में उसकी राष्ट्रीय परिषद के लिए चुने गए। वीएस सात बार केरल विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2006 से 2011 तक मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने मेहनतकश जनता के कल्याण के लिए कई विधायी और प्रशासनिक उपाय किए।

पार्टी के साथ अपने साढ़े आठ दशक लंबे जुड़ाव के दौरान, वीएस ने केरल में कम्युनिस्ट आंदोलन के निरंतर विकास को देखा। एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में, वीएस ने दर्शकों से सीधे संवाद करने की कला में महारत हासिल कर ली थी। अपनी सादगीपूर्ण जीवनशैली और सामाजिक न्याय के प्रति अटूट प्रतिबद्धता वाले वी. एस. अच्युतानंदन ने केरल की राजनीति पर एक अमिट छाप छोड़ी । उनके निधन से पार्टी और कम्युनिस्ट आंदोलन को भारी क्षति हुई है।

कॉमरेड रामपाल सिंह को श्रद्धांजलि

    मुरादाबाद जिले में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता और काफी लम्बे समय तक पार्टी के जिला मन्त्री रहे, 85 वर्षीय कामरेड रामपाल सिंह का लम्बी बीमारी के बाद को 21 जुलाई 2025 को निधन हो गया। 

कामरेड रामपाल सिंह ने अपने छात्र जीवन में ही मार्क्सवादी चिंतक और पार्टी नेता पुष्कर नाथ त्रिवेदी और डॉक्टर महावीर सिंह कवि के सानिध्य में आकर मार्क्सवादी दर्शन का ककहरा सीखा, और वहीं से वे मार्क्सवादी राह के मुसाफिर बने। अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत 1966 में सनातन धर्म हिन्दू इंटर कालेज ठाकुरद्वारा जिला मुरादाबाद में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त हुए और वहीं अध्यापन कार्य करते हुए वर्ष 1968 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 
 
 जनता के बीच संघर्षशील रहते उन्होंने जिले में पार्टी निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कामरेड रामपाल सिंह बहुत लम्बे समय से पार्टी के जिला मन्त्री रहे। वर्ष 1970- 71 में उप ब्लॉक प्रमुख रहे। किसान सभा के जिला मंत्री और अध्यक्ष भी रहे। किसानों के बीच पार्टी बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 
 
उन्होंने पार्टी की ओर से वर्ष 1980 में ठाकुरद्वारा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा जिसमे वे तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1995 से 2000 तक जिला पंचायत सदस्य भी रहे। 
 
 अपने राजनीतिक जीवन के इस कालखण्ड में वे 1975 के काले आपातकाल के दौरान दिनाँक 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक मीसा के अंतर्गत जेल में बन्द रहे, वह एक वहादुर, निडर और जुझारू लोकतांत्रिक सेनानी भी थे। उन्होंने ठाकुरद्वारा डिलारी रोड को बनवाने के लिए लंबा संघर्ष किया। उन्हीं के संघर्षों की वजह से उस क्षेत्र की जनता को सड़क की सौगात मिली। जिला पंचायत सदस्य रहते हुए उन्होंने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को बहादुरी के साथ उठाया।

कामरेड रामपाल सिंह एक प्रशिक्षित मार्क्सवादी चिन्तक के साथ ही साहित्यिक क्षेत्र के भी हस्त्ताक्षर रहे हैं। जिले के अनेक साहित्यकारों के सानिध्य में रहकर उन्होंने इस विधा में भी अपना जनवादी वैचारिक द्रष्टिकोण रेखांकित किया है। वर्ष 2012 में सीता व्यथा नामक खंडकाव्य की रचना करके महिलाओं की दुर्दशा को उजागर किया है। वहीं वर्ष 2016 में कालचक्र कविता संग्रह के माध्यम से अपनी बात समाज के बीच पहुचाने की कोशिश की है।


कामरेड रामपाल सिंह को एक सुयोग्य वक्ता के रूप में दर्शकों से सीधे संवाद करने में महारत हासिल थी। उन्होंने जिले के वामपंथी आंदोलन की राजनीति पर एक अमिट छाप छोड़ी । उनके निधन से पार्टी और कम्युनिस्ट आंदोलन को भारी क्षति हुई है।


भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी मुरादाबाद के तमाम कार्यकर्ता कामरेड वी एस अच्युतानंदन और कामरेड रामपाल सिंह जैसे मार्क्सवादी चिन्तक, क्रांतिकारी, जुझारू नेताओं को खोने पर बहुत ही व्यथित और शोक संतप्त हैं। पार्टी जिला कमेटी अपने दोनों प्रिय नेताओं को भावभीनी श्रद्धांजलि और लाल सलाम पेश करती है।

error: Content is protected !!