जप, तप, भजन और सुमिरन से बालाजी होते प्रसन्न: अर्द्धमौनी

लव इंडिया, मुरादाबाद। हनुमान मूर्ति , रामपुर रोड, देहरी गांव में आयोजित दो दिवसीय श्री हनुमान महोत्सव एवं भंडारे में नगर विधायक रितेश गुप्ता, भाजपा अध्यक्ष गिरीश भण्डूला जी एवं कथा व्यास धीरशान्त दास अर्द्धमौनी ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

इस अवसर पर आचार्य अर्द्धमौनी ने बताया कि फर्क इतना था राम को अहंकार का ज्ञान था ओर रावण को ज्ञान का अहंकार था। जीवन में ऐसे कई लोग होते हैं, जिन्हें आप समय के साथ भूल जाते हैं। लेकिन ऐसे कुछ ही लोग होते हैं, जिनके साथ आप समय भूल जाते हैं, उनको कभी न छोड़ें। जीवन में केवल दो ही वास्तविक धन है। समय ओर सांसे ओर दोनो ही निश्चित ओर सिमित है। जो इंसान दूसरे की पीड़ा और दुःख को समझता है वही सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से क्या फायदा।

जिस प्रकार वृक्ष की जड़ में दिया गया पानी प्रत्येक पत्तियों तक पहुंचता है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य द्वारा की गयी सेवा और कर्म उस परमात्मा तक पहुंचते हैं। नाम की महिमा हर युग में महान रही है, चाहे नाम प्रहलाद ने लिया हो चाहे शबरी ने, एवं तुलसीदास जैसे लाखों करोड़ों भक्त नाम लेने मात्र से भवसागर पार हो गये।

इस अवसर पर आचार्य अर्द्धमौनी ने बताया कि हनुमानजी महाराज ने कहा कि हमें सबसे पहले अपना हरि भजन, नामजप एवं ठाकुर सेवा में निपुण हो जाना चाहिए। नहीं तो संकटों में फस जायेंगे।जीवन में हमें क्या करना है यह रामायण सिखाती है। जीवन में हमें क्या नहीं करना है, यह महाभारत सिखाती है और जीवन को हमें कैसे जीना है। यह श्रीमद्भागवत गीता सिखाती है। जीवन में परेशानी चाहे कितनी भी बड़ी हो। चिंता करने से और भी बडी हो जाती है। ईश्वर में आस्था और धैर्य रखने से समाप्त हो जाती है।
इस अवसर पर आचार्य अर्द्धमौनी ने बताया कि बार-बार जन्म, बार-बार मृत्यु, बार-बार गर्भ में शयन, इस संसारसे पार जा पाना बहुत कठिन है, हे मुरारी, कृपा करके इससे मेरी रक्षा करें। जैसे बीज खेत में बोये बिना फल नहीं दे सकता, उसी प्रकार प्रारब्ध भी पुरुषार्थ के बिना नहीं सिद्ध होता, पुरुषार्थ खेत है और दैव बीज है। खेत और बीज के संयोग से ही अनाज पैदा होता है। इंसान घर बदलता है, वस्त्र बदलता है, संबंध बदलता है, फिर भी वह दुखी रहता है। क्योंकि वह अपना स्वभाव नहीं बदलता।

इस अवसर पर आचार्य अर्द्धमौनी ने बताया कि कोई आपके विषय में कितना भी अनुचित सोचे, बोले अथवा करे, यदि इससे आपके विचार कभी भी डगमग न हो तो आपको जीवन में कोई भी पराजित नहीं कर सकता, क्योंकि हार या जीत मनोस्थिति पर निर्भर करती है, परिस्थिति पर नहीं। संतोष जैसा कोई सुख नहीं! जिस व्यक्ति ने संतोष की पूंजी अर्जित कर ली है, उस व्यक्ति ने सब कुछ हासिल कर लिया है।

कार्यक्रम में शिवचरन प्रजापति, गोविन्द राम, भारत सिंह, राहुल ठाकुर, मोनू ठाकुर, नवनीत सिंह चौहान, हरपाल सिंह, ठाकुर भानु सिंह, सुधीर रस्तोगी, शिवम कुमार शर्मा, डा० वीरेंद्र कुमार, राजवीर सिंह प्रजापति, सुनील कुमार सैनी आदि रहे।