आध्यात्म, संस्कृति एवं संस्कारों की त्रिवेणी है वाल्मीकि रामायण
लव इंडिया, बरेली। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ब्रज प्रान्त, बरेली के तत्वावधान में हुई विचार गोष्ठी में परिषद से जुड़े साहित्यकारों ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन और उनके द्वारा रामायण पर विचार व्यक्त किए ।

शील ग्रुप के सिटी कार्यालय में हुई गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष डाॅ सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने वाल्मीकि रामायण की रचना संस्कृत भाषा में की थी और उसे विश्व का पहला महाकाव्य माना जाता है । उन्होने कहा कि वाल्मीकि रामायण में आध्यात्म, संस्कृति और संस्कारों की त्रिवेणी प्रवाहित होती है ।

संजीव शंखधार ने महर्षी वाल्मीकि के जीवन के कई प्रसंग साझा किए । उन्होने कहा कि वाल्मीकि ने कठिन तपस्या की थी ।.निर्भय सक्सेना ने महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत भाषा का पहला कवि बताया ।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ व्रजेश कुमार शर्मा ने कहा कि वाल्मीकि रामायण में एक आदर्श राजा, आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श मां और आदर्श पत्नी का चित्रण महर्षि वाल्मीकि ने बड़ी सुन्दरता पूर्वक किया है ।
गोष्ठी की अध्यक्षता जनपदीय अध्यक्ष डाॅ ब्रजेश कुमार शर्मा एवं संचालन विमलेश दीक्षित ने किया।

इस अवसर पर गुरविंदर सिंह, मोहन चन्द्र पाण्डेय, रितेश साहनी, डाॅ रवि प्रकाश शर्मा ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन एवं आदर्शों पर रचित कविताओं का सस्वर पाठ किया।
