Bhaiya Dooj today:जाने पांच धार्मिक मान्यताएं और भाई को टीका करने का उत्तम समय
भैया दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना की कथा से जुड़ा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं और उन्हें तिलक लगाकर आरती करती हैं।
भैया दूज का महत्व

भैया दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और इस रिश्ते में आई दूरियों और दरार को कम करने का विशेष अवसर होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाती हैं और उन्हें तिलक लगाकर आरती करती हैं और मिठाई खिलाती हैं।
भैया दूज को मनाए जाने की पांच प्रमुख धार्मिक मान्यताएं
यमराज और यमुना की कथा: भैया दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना की कथा से जुड़ा है। यमुना ने अपने भाई यमराज को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की थी, और यमराज ने उन्हें वरदान दिया था कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई को तिलक लगाएगी, उसे लंबी उम्र और समृद्धि प्राप्त होगी।
भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, और उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था।
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक: भैया दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं और उन्हें तिलक लगाकर आरती करती हैं।
धर्म और संस्कृति का प्रतीक: भैया दूज का पर्व हिंदू धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और इस रिश्ते में आई दूरियों और दरार को कम करने का विशेष अवसर होता है।
नरक चतुर्दशी का महत्व: भैया दूज का पर्व नरक चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के नरकासुर राक्षस के वध की याद में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण की जीत और अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
भैया दूज का उत्तम समय
इस साल भैया दूज का त्योहार 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:19 बजे से 3:35 बजे तक रहेगा।

भैया दूज का पर्व कहाँ-कहाँ मनाया जाता है
भैया दूज का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है, साथ ही नेपाल और अन्य हिंदू समुदायों में भी मनाया जाता है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि महाराष्ट्र में भाऊ-बीज और पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा।
