बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव पर निकाला गया शांति मार्च, गूंजे समता और करुणा के गीत

मुरादाबाद। दिल्ली रोड स्थित मझोली चौराहे से बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव पर बौद्धजन कल्याण समिति की ओर से सोमवार को भव्य शांति मार्च का आयोजन किया गया। यह आयोजन बौद्ध अनुयायियों की आस्था, श्रद्धा और सामाजिक समरसता को दर्शाने वाला महत्वपूर्ण आयोजन रहा। मझोली चौराहे से प्रारंभ हुआ यह शांति मार्च आर्यन्स इंटरनेशनल स्कूल, ऋण मुक्तेश्वर मंदिर, च्वाइस बैंक्वेट, महिलाल पब्लिक स्कूल, ब्रेड फैक्ट्री से होता हुआ काशीराम नगर स्थित बुद्धा पार्क पर सम्पन्न हुआ।
मार्च के दौरान विभिन्न झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं, जिनमें भगवान गौतम बुद्ध, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर, संत शिरोमणि रविदास और समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की झलक देखने को मिली। साथ ही बहुजन नायकों की प्रेरणादायी गाथाएं शांति मार्च में शामिल महिलाओं और युवाओं द्वारा गाए गए गीतों में सुनाई दीं, जिनका भाव समाज में समानता, शिक्षा और मानवता के संदेश को प्रसारित करना था।
मार्च में करीब 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे सभी वर्गों की सहभागिता रही। शांतिपूर्ण और अनुशासित रूप से निकाले गए इस मार्च में जहां श्रद्धालु महापुरुषों की झांकियों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए चल रहे थे, वहीं महिलाएं लोकधुनों और प्रेरणात्मक गीतों से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर रही थीं।
शांति मार्च का समापन काशीराम नगर स्थित बुद्धा पार्क में हुआ, जहां सभा और भजन संध्या का आयोजन किया गया। बुद्धा पार्क को विशेष रूप से सजाया गया था। रंग-बिरंगी रोशनियों, सजावट और बुद्ध वाक्यांशों से सुसज्जित मंच पर आयोजित भजन संध्या में प्रसिद्ध गायक रवि बौद्ध और कविता सागर ने अपनी संगीतमय प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रवि बौद्ध ने ‘मन के अंधेरे में दीप जलाओ बुद्धम शरणम् गच्छामि…’ जैसे गीतों के माध्यम से शांति, करुणा और ज्ञान का संदेश दिया। वहीं कविता सागर ने समता और सामाजिक न्याय पर आधारित रचनाएं प्रस्तुत कीं। उनके गीतों में नारी सशक्तिकरण, शिक्षा की महत्ता और सामाजिक बंधुत्व की भावना स्पष्ट रूप से झलकी। श्रद्धालु भाव-विभोर होकर संगीत की इस संध्या का आनंद लेते रहे।
इस अवसर पर मंच पर मौजूद समिति के प्रमुख पदाधिकारियों में विमल कुमार धीर, चंदन सिंह रैदास, राजीव बौद्ध, मलखान सिंह, मुकेश गौतम, महावीर प्रसाद मौर्य, मेघराज सिंह जयराम सिंह हरीराज जाटव सौरव जाटव हिमांक धीर वर्तिका धीर संता बौद्ध राजन सैनी राजन सैनी एमपी सिंह विक्रांत सिंह जाटव विनेश कुमार बौद्ध हरपाल सिंह बौद्ध दिनेश जाटव दिनेश जाटव विजय पुष्कर अभिषेक सिंह जाटव चित्रादुर गीता चारुल धार नेतराम सिंह मुन्नी देवी राजेश्वर सिंह सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे। वक्ताओं ने भगवान बुद्ध के जीवन-दर्शन, बाबा साहब अंबेडकर के सामाजिक योगदान और संत रविदास व ज्योतिबा फुले के सुधार समाज आंदोलनों पर प्रकाश डाला।
वक्ताओं ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मचिंतन, आत्मानुशासन और समाज में समता व शांति के प्रसार का दिन है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हिंसा और द्वेष की बजाय प्रेम, ज्ञान और सेवा के मार्ग पर चलकर ही मानवता का कल्याण संभव है।
अखिल भारतीय अंबेडकर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर प्रसाद मौर्य अपने उद्बोधन में कहा कि बुद्ध के शांति के संदेश ने दुनिया में अपना परचम लहराया और बुद्ध का मध्यम मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में बौद्धजन कल्याण समिति के सभी सदस्यों, स्थानीय नागरिकों और प्रतिभागियों का विशेष योगदान रहा। समिति की ओर से सभी का आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम का संचालन जगदीश चंद्र ने किया
बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर ने न केवल बौद्ध अनुयायियों को एक मंच पर एकत्र किया, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गौरव और आध्यात्मिक चेतना का संदेश भी जन-जन तक पहुंचाया।