IAS संतोष वर्मा के बयान पर भड़का ब्राह्मण समाज, मुरादाबाद से मुख्यमंत्री को ज्ञापन, कड़ी कार्रवाई की मांग
मुरादाबाद, 27 नवंबर। IAS संतोष वर्मा द्वारा दिए गए कथित विवादित बयान को लेकर ब्राह्मण समाज में गहरी नाराजगी बनी हुई है। इसी क्रम में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (शाखा मुरादाबाद) ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जारी कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
📌 बयान को बताया आपत्तिजनक
महासभा ने कहा कि संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज को लेकर कही गई बातें अशोभनीय, अपमानजनक और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली हैं। ज्ञापन में लिखा गया है कि इस वक्तव्य से समाज की भावनाएँ आहत हुई हैं।
📌 सरकार को तुरंत कार्रवाई का अनुरोध
महासभा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि उनके बयान की गंभीरता को देखते हुए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के अपमानजनक व्यवहार की पुनरावृत्ति न कर सके।
📌 कई पदाधिकारियों के हस्ताक्षर
ज्ञापन पर महासभा के पदाधिकारियों—डॉ. प्रदीप शर्मा, अनिल कुमार शर्मा, सुनील कुमार शर्मा समेत कई अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर मौजूद रहे। यह प्रार्थना-पत्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री (भारत सरकार) और राज्यपाल को भी संबोधित किया गया है।
📌 समाज में रोष, कार्रवाई की प्रतीक्षा
स्थानीय ब्राह्मण संगठनों ने कहा कि जब तक उचित कार्रवाई नहीं होती, तब तक विरोध और ज्ञापन का सिलसिला जारी रहेगा। समाज ने इसे अपनी गरिमा और सम्मान से जुड़ा मुद्दा बताया है।
क्या हुआ — संतोष वर्मा विवादित बयान और उसकी प्रतिक्रिया
📌 घटना
- 22 नवंबर 2025 को भोपाल में AJJAKS (अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ) की एक बैठक में, संतोष वर्मा ने आरक्षण (reservation) को लेकर एक बयान दिया — उन्होंने कहा कि आरक्षण जारी रहना चाहिए “जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं दे” या “उससे रिश्ता (विवाह) नहीं करें।”
- उनका कथित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस बयान को कई लोगों और समुदायों ने “जात-पात और महिलाओं को वस्तु की तरह दिखाने वाला” बताया और कड़ी आलोचना की।
🔥 प्रतिक्रिया — विरोध, निंदा, और कार्रवाई
- ब्राह्मण समुदाय, अन्य सामाजिक समूहों, और कई नागरिकों ने संतोष वर्मा के बयान को “सामाजिक सौहार्द तोड़ने वाला” और “संविधान और आरक्षण नीति का अपमान” बताया।
- विरोध प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया पर आलोचना और साथ ही कानूनी कार्रवाई की मांग बढ़ गई।
📝 संतोष वर्मा का सफाई + माफी
- विवाद के बाद संतोष वर्मा ने माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उनका कहना है कि सिर्फ उनका 27 मिनट का भाषण था, लेकिन सिर्फ 9-सेकंड का एक भाग वायरल हुआ।
- उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को उनकी बातों से आघात पहुँचा हो — वे माफी चाहते हैं।

🏛️ राज्य सरकार की कार्रवाई
- Madhya Pradesh Government (मध्य प्रदेश सरकार) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए संतोष वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें सात दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
- नोटिस में कहा गया है कि उनका बयान सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला है, और यह All India Services (Conduct) Rules, 1968 एवं All India Services (Discipline and Appeal) Rules, 1969 का उल्लंघन प्रतीत होता है।
⚠️ पूर्व विवाद और पृष्ठभूमि
- ये कोई पहला विवाद नहीं है। संतोष वर्मा पहले भी फर्जी दस्तावेज और प्रमोशन मामले में जेल जा चुके हैं — 2021 में, अदालत में उन्होंने जज के हस्ताक्षर की फर्जी कॉपी लगाई थी, आरोपों के बाद जेल हुई थी। यह पुराना मामला अब फिर से चर्चा में आया है।
- इस पुराने रिकॉर्ड के कारण, लोग कह रहे हैं कि उनके बयान सिर्फ मौजूदा विवाद नहीं, बल्कि उनकी पुरानी छवि का हिस्सा है।
