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अयोध्या के बाद संभल के श्रीहरिहर मंदिर को धरातल पर लाने प्रयासरत, प्रदेशभर के मंदिरों पर शिवसेना महा आरती करेगी आज
बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण तक के बाद संभल के हरिहर मंदिर मुद्दे से जुड़ी जानकारी व शिवसेना का अब तक का आंदोलन (तथ्यों पर आधारित, संतुलित विवरण के साथ पढ़िए…
🟧 बाबरी मस्जिद विवाद से श्री राम मंदिर निर्माण तक
अयोध्या विवाद भारत के आधुनिक इतिहास का सबसे लंबा, जटिल और भावनात्मक रूप से संवेदनशील विवाद रहा है। 16वीं सदी से शुरू हुआ यह मुद्दा सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरता हुआ 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के रूप में परिणति पर पहुँचा। नीचे इस पूरे संघर्ष की क्रमबद्ध जानकारी दी गई है।
📜 आरंभिक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (1528–1857)
- 1528: बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा एक मस्जिद का निर्माण (स्थानीय परंपराएँ दावा करती हैं कि यह राम जन्मभूमि स्थल था; इतिहासकारों के मत अलग-अलग)
- 18वीं–19वीं सदी: स्थानीय हिंदू समूह इस स्थल पर पूजा का दावा करते रहे
- 1855: विवादित स्थल पर हिंदू-मुस्लिम झड़पें
- 1859: ब्रिटिश शासन ने विवादित स्थल को अंदर–बाहर दो हिस्सों में बाँटकर व्यवस्था बनाई
- अंदरूनी भाग: नमाज़
- बाहरी प्रांगण: राम चबूतरा और पूजा
🏛️ 2. न्यायालय और प्रशासनिक विवाद (1885–1949)
- 1885: महंत रघुवर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर निर्माण की अनुमति मांगी → कोर्ट ने अनुमति नहीं दी
- 1934: दंगे, संरचना को नुकसान → सरकार ने पुनः मरम्मत कराई
- 1949: विवादित ढाँचे के अंदर रामलला की मूर्तियाँ प्रकट हुईं
- प्रशासन ने गेट बंद किया, लेकिन पूजा जारी रही
- मामला अदालत पहुँचा
🔥 3. आधुनिक राम जन्मभूमि आंदोलन की शुरुआत (1984–1992)
- 1984: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने “राम जन्मभूमि आंदोलन समिति” बनाई
- 1986: जिला जज ने विवादित ढाँचे के ताले खुलवाए—हिंदुओं को पूजा की अनुमति
- 1989:
- राम मंदिर निर्माण के लिए “शिलान्यास” की अनुमति
- भाजपा के उदय से यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में
- 1990:
- लाल कृष्ण आडवाणी की राम रथयात्रा
- अयोध्या में कारसेवा
- 1992 (6 दिसंबर):
- बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहा
- देशव्यापी तनाव, दंगे
⚖️ कानूनी लड़ाई और जाँच (1993–2010)
- 1993: केंद्र सरकार ने विवादित क्षेत्र को अधिग्रहित किया
- 2002–2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई
- 2010: हाईकोर्ट ने जमीन को 3 हिस्सों में बाँटने का फैसला दिया
- रामलला विराजमान
- निर्मोही अखाड़ा
- सुन्नी वक्फ बोर्ड
- मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा
🧭 निर्णायक मुकाम — सुप्रीम कोर्ट का फैसला (2019)
9 नवंबर 2019
- पूरी विवादित भूमि रामलला विराजमान को दी
- मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण हेतु 5 एकड़ वैकल्पिक ज़मीन
- पुरातात्विक प्रमाणों, ऐतिहासिक तर्कों और प्रशासनिक रिकॉर्ड पर आधारित निर्णय
🏗️ राम मंदिर निर्माण (2020–2024)
- 2020: मंदिर निर्माण ट्रस्ट गठन — श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
- 2020–2023: निर्माण कार्य
- 22 जनवरी 2024: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
🧭 “हिंदू राष्ट्र” विमर्श और बदलता सामाजिक परिदृश्य (रिपोर्ट, परंतु प्रचार नहीं)
यह हिस्सा पूरी तरह विश्लेषणात्मक और तथ्याधारित है—
- राम मंदिर आंदोलन ने भारतीय राजनीति में धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान की बहस को मुख्यधारा में ला दिया
- बड़ी संख्या में लोगों में धार्मिक जागरण, सांस्कृतिक पुनरुत्थान का भाव उभरा
- राजनीतिक विमर्श में “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” एक प्रमुख धारा बना
- कुछ समूहों और संगठनों द्वारा “हिंदू राष्ट्र” की अवधारणा पर तीव्र चर्चा
- दूसरी ओर, विपक्ष और मानवाधिकार समूह सांप्रदायिक संतुलन, संवैधानिक मूल्यों और धर्मनिरपेक्षता की चिंता व्यक्त करते रहे
- सामाजिक स्तर पर मंदिर निर्माण को “ऐतिहासिक न्याय” के रूप में देखा गया
- वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक पर्यटन में वृद्धि
(यह पूरा सेक्शन विश्लेषणात्मक है — न किसी विचारधारा का समर्थन, न विरोध।)
🔸 संभल (उत्तर प्रदेश) का हरिहर मंदिर विवाद — शिवसेना का आंदोलन और 6 दिसंबर की योजना
📜 हरिहर मंदिर की पृष्ठभूमि
- संभल का हरिहर मंदिर (स्थानीय दावों के अनुसार एक प्राचीन शिव–हरिहर स्थल)
- कुछ हिंदू संगठनों का दावा कि यह स्थल ऐतिहासिक रूप से हिंदू मंदिर था
- प्रशासन व अन्य समुदायों के साथ भूमि/उपयोग को लेकर समय-समय पर विवाद
- यह मुद्दा क्षेत्रीय धार्मिक-सामाजिक संघर्ष का कारण बना
(नोट: यहाँ मैं सिर्फ तथ्यात्मक रिपोर्ट दे रहा हूँ — किसी दावे की पुष्टि/खंडन करना मेरा काम नहीं है।)
🟧 शिवसेना का आंदोलन — अब तक की घटनाएँ
1. प्रारंभिक मांगें
- मंदिर को “मुक्त स्थल” घोषित करने की मांग
- धार्मिक कार्यक्रमों और पूजा-अर्चना की अनुमति का विस्तार
- प्रशासन से विवाद सुलझाने की मांग
2. क्षेत्रीय स्तर पर अभियान
- शिवसेना (स्थानीय इकाइयाँ) द्वारा रैलियाँ, ज्ञापन, धरने
- संगठन का कहना—स्थल पर पारंपरिक पूजा-पाठ बहाल होना चाहिए
3. संघर्ष गाथा (तथ्यों पर आधारित सारांश)
- कई बार प्रशासन के साथ वार्ता
- स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थितियाँ
- संगठन द्वारा “सांस्कृतिक संरक्षण” की मांग
- शांतिपूर्ण आंदोलनों, सभाओं और यात्राओं का आयोजन
🔥 6 दिसंबर को “संभल केसरी हरिहर मंदिर मुक्ति” के लिए घोषित महाआरती
शिवसेना ने दावा किया है कि—
- 6 दिसंबर को प्रदेशभर में “महाआरती”
- उद्देश्य:
- हरिहर मंदिर मुद्दे को राजनीतिक-सामाजिक मंच पर लाना
- राज्य सरकार से पुनर्विचार व समाधान की मांग
- प्रमुख शहरों में समन्वित कार्यक्रम
- सामाजिक-धार्मिक सहभागिता बढ़ाने की कोशिश
(यह जानकारी संगठन के सार्वजनिक बयानों पर आधारित रिपोर्ट-शैली में है — न समर्थन, न विरोध।)
