यह नीरज की प्रेम सभा है …में कवियों और शायरों ने दिखाया आइना
लव इंडिया, मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा, जिला इकाई मुरादाबाद द्वारा महाकवि गोपाल दास नीरज के जन्मशती वर्ष के अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन एमआईटी के सभागार में हुआ, जिसमें देश के ख्यातिनाम कवि और कवयित्रियों ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
“यह नीरज की प्रेम सभा है” शीर्षक से आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मंडलायुक्त आञ्जनेय कुमार सिंह, अपर जिला जज श्रीमती किरण बालाजी,राज्य बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता, उपनिदेशक कृषि प्रशांत कुमार, केके मिश्रा, प्रदीप वार्ष्णेय, एमआईटी के चेयरमैन वाईपी गुप्ता एवं मंच पर आसीन कवियों ने मां शारदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया।
इसके बाद देर तक कवियों ने अपनी कविताओं, गीतों और शायरी से साहित्य के कई रंग बरसाए। श्रोताओं ने भी कविताओं का आनन्द लिया। प्रख्यात गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना ने पढ़ा, “जो हाथ थाम लो वो फिर न छूटने पाये,
प्यार की दौलतें कोई न लूटने पाये,
जब भी छू लो बुलंदियां तो ध्यान ये रखना
ज़मीं से पाँव का रिश्ता न टूटने पाये।”
लखनऊ से आए हास्य व्यंग्य कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा,”किसी एक्टर का फिल्में छोड़कर राजनीति में आने का सिर्फ एक ही कारण है, कि राजनीति एक्टिंग का सीधा प्रसारण है।”
बदायूं से आईं कवयित्री सोनरूपा विशाल ने कहा,”या तो वापस पलट के आओ तुम,
या कोई रास्ता बताओ तुम, रंग सारे चटख चटख भरना, मेरी तस्वीर जब बनाओ तुम” ।शायर राहुल शर्मा ने फरमाया,”अगर लिखोगे वसीयत अपनी तो जान पाओगे ये हकीकत,
तुम्हारी अपनी ही मिल्कियत में तुम्हारा हिस्सा कहीं नहीं है।”
ओज कवि सौरभ कांत शर्मा ने कहा,”हर एक कलाई पे यहां राखियां मिलेंगी।
वतन पे जां लुटाती यहां खाकियां मिलेंगी।
इस कविता की भाषा में जहर नहीं घोलो,
यहां घाट घाट कबिरा की साखियां मिलेंगी।”
सरिता लाल ने पढ़ा, “हमारी भाषा हिन्दी,
ये तो है भारत मां के.माथे की बिंदी,
ये मातृभाषा नही, ये तो स्वयं मां जैसी ही लगती है ।
गणतंत्र दिवस पर इस तिरंगे की शान से,
नभ पर अब नव अभ्युदय होगा
संवत्सर भी गूंज उठेगें ,ऋचाओं का आह्वान होगा”
कवयित्री शालिनी भारद्वाज ने कहा, “थी कौन कमी उस राणा को, उसने घास की रोटी खानी थी,
आयी रात अन्धेरी जीवन में, आघात सहे पथ से न टले,
राणा ने बनकर दीवाना, ज़ख़्मों से नाता जोड़ा था,
इन दर्द भरे पद चिन्हों पर पूजा के सरसिज़(कमल)खिलते हैं।”
कवयित्री पूजा राणा ने कहा,”प्यार की वो गली कैसे भूलू सखी, जिस गली प्यार का वो दीवाना मिला, मैं चली साथ में उसके बनके हवा, साथ उसका वही फिर पुराना मिला।”
गीतकार मयंक शर्मा ने पढ़ा,”गोरी सेना को हुंकारों से दहलाने वाले थे, दाग ग़ुलामी वाला अपने खूँ से धोने वाले थे,
उनको कौन डरा सकता था आज़ादी की ख़ातिर जो,
संगीनों के आगे अपनी छाती रखने वाले थे।”
इस अवसर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी अनुराग श्याम रस्तोगी, मुकेश कुमार चौधरी अधीक्षक राजकीय बाल संप्रेषण, गृह( किशोर), अनीता गुप्ता,राजेश कुमार भारद्वाज, दीपक बाबु सीए, अनिल कपूर, भरत, सुबोध भारद्वाज, राजीव गुर्जर,विवेक निर्मल, योगेन्द्र वर्मा व्योम, योगेंद्र कुमार रस्तोगी आदि भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे|
व्यवस्था में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के पदाधिकारियों श्री कृष्ण शुक्ल, इशांत शर्मा, आवरण अग्रवाल, प्रीति हुंकार, इंदु रानी, शुभम कश्यप ने सहयोग किया। मंच का कुशल संचालन माधव शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजक शालिनी भारद्वाज एवं पूजा राणा ने किया।