स्वस्थ जीवन के लिए नेचुरल लाइफ स्टाइल अनिवार्यः प्रो. रामगोपाल
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से दो दिनी नेचुरल लाइफस्टाइल फॉर हॉलिस्टिक पर्सनैलिटी डवलपमेंट एंड स्टुडेंट्स डपलपमेंट प्रोग्राम, डीआरडीओ- जोधपुर के पूर्व डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) रामगोपाल ने बतौर मुख्य वक्ता की शिरकत
लाइव इंडिया मुरादाबाद । डीआरडीओ, जोधपुर के पूर्व डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) रामगोपाल ने स्वस्थ जीवन शैली के लिए शरीर में पंच तत्वों- पानी, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश के सही अनुपात को जरूरी बताया। नेचुरल लाइफस्टाइल के जरिए शरीर को डीटॉक्सीफाई करना, स्ट्रेस को कम करना और पॉजिटिव एंड नेगेटिव एनर्जी का बैलेंस करना जरूरी है। हमें सूर्याेदय से पहले जगना चाहिए, जिससें प्रचुर मात्रा में शरीर को ऑक्सीजन प्राप्त हो सके।
डीआरडीओ, जोधपुर के पूर्व डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) रामगोपाल ने आंतरिक शांति के लिए योग और मेडिटेशन के महत्व को भी विस्तार से समझाया। कोई भी सिंगल मेडिसिन बॉडी की किसी भी बीमारी का पूर्ण उपचार नहीं कर सकती है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन की शोध के अनुसार किसी रोग के उपचार में मेडिसिन 10 प्रतिशत, अनुवांशिकी 18 प्रतिशत, पर्यावरण 19 प्रतिशत और लाइफस्टाइल की 53 प्रतिशत भूमिका होती है। अतः हमें अपने लाइफस्टाइल पर विशेष ध्यान देने की दरकार है।
प्रो. रामगोपाल तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद की ओर से नेचुरल लाइफस्टाइल फॉर हॉलिस्टिक पर्सनैलिटी डवलपमेंट पर आयोजित दो दिनी लीडरशिप टॉक सीरीज सेशन-07 में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पहले प्रो. (डॉ.) रामगोपाल ने बतौर मुख्य वक्ता, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, एसोसिएट डीन एकेडमिक्स डॉ. अमित कंसल आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके टॉक सीरीज सेशन-07 का ऑडी में शंखनाद किया। मुख्य वक्ता का बुके देकर स्वागत किया गया। संचालन असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. नेहा आनन्द ने किया।
प्रो. (डॉ.) रामगोपाल ने शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को स्वस्थ जीवन के चार आयाम बताते हुए स्वस्थ जीवन के लिए अष्टांग योग के बारे में विस्तार से समझाया। वह बोले, हैल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने से हमारा शरीर स्वंय ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है।
दूसरे दिन इंडोर स्टेडियम में आयोजित योग सेशन में प्रो. रामगोपाल ने सूर्य नमस्कार के बारह मंत्रों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने विपसना योग के जरिए शरीर, मन, बुद्धि के विकास पर जोर दिया। ओम शब्द की उत्पत्ति पर बोले, ओम शब्द को धर्म से जोड़ा जाता है, लेकिन यह एक कॉस्मिक साउंड है, जो सूर्य से न्यूक्लियर फ्यूजन के दौरान उत्पन्न होती है।
अंत में शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह देकर मुख्य वक्ता को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन प्रो. प्रवीण जैन, फिजिकल एजुकेशन के प्रिंसिपल प्रो. मनु मिश्रा, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. वरूण कुमार सिंह, फैकल्टीज- मिस अंकिता, श्री अभिलाष सक्सेना, मिस स्वाति आदि के संग-संग सीसीएसआईटी, पैरामेडिकल, फिजियोथैरेपी, फिजिकल एजुकेशन के करीब 300 छात्र-छात्राएं शामिल रहे।