गोरखधंधा: ब्लड जांच के नाम पर 2500 रुपए तक की वसूली, आरोप कितना सही होनी चाहिए निष्पक्ष जांच
संजीव गुप्ता,लव इंडिया, संभल। सोमवार को ब्लड बैंक पर ब्लड बदलने को लेकर एक संस्था के कार्यकर्ता के सामने 9 हजार रुपए की मांग की गई थी जिस का विरोध करते हुए बिल मांगने को लेकर मारपीट हो गई थी जिस संबंध में ब्लड बैंक की संचालिका रितु सक्सेना द्वारा 3 नाम दर्ज करते हुए चार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा सदर कोतवाली में पंजीकृत कराया था जिसमें संस्था की ओर से सदर कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर ब्लड बैंक की संचालिका एवं मैनेजर सहित 3 को नाम दर्ज करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इस दौरान कार्यकर्ताओं ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कीनगर में संचालित एकमात्र ब्लड बैंक के द्वारा की जा रही ब्लड की कालाबाजारी को उजागर करने के लिए प्रदेश स्तर पर निशुल्क ब्लड देने का काम कर रही संस्था युवा शांति ब्लड डोनर्स टीम का आरोप है कि ब्लड बैंक में ब्लड निकालने का अति रिक्त शुल्क लिया जाता है और जितना भी शुल्क लिया जाता है उसका कोई भी प्रपत्र नहीं दिया जाता है। ब्लड की जांच के नाम पर 1500 रुपए से लेकर 2500 रुपए वसूले जाते हैं। ब्लड बैंक के कालाबाजारी का गोरख धंधा यहां रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित नियमों को ताक पर रखकर रोजाना ब्लड स्टॉक चार्ट को भी नहीं भरा जाता है जिसमें ब्लड की बूंदों को तरस रहे आम नागरिकों को अंधेरे में रखकर बैंक द्वारा कालाबाजारी करने के आरोप लगाते हुए कहा गया है की दलालों द्वारा मनमाने दामों में ब्लड की पूर्ति कराई जाती है।
संभल जिले में उक्त ब्लड बैंक की स्वामी ऋतु सक्सैना के दूसरे प्रतिष्ठान पैथोलॉजी लैब पर ब्लड बैंक एक ही जाति का स्टॉप रखकर मरीजों के साथ जातिवादी सोच को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। रसूखदारो तथा कुछ भ्रष्ट लोगों का बोलबाला है। ब्लड बैंक द्वारा जितने भी गलत कार्य किए जा रहे हैं। उनके विरोध में युवा शक्ति ब्लड डोनर्स द्वारा विरोध प्रदर्शनकारी शासन द्वारा जांच कर कार्यवाही की मांग करेगा।
इतना ही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष भ्रष्टाचार दमन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश बृजेश यादव को किसी मरीज के परिवार वालों ने सूचना दी तो वह कार्यकर्ताओं के साथ ब्लड बैंक पहुंचे और अपने कार्यकर्ता भोले उर्फ विनोद पुत्र हरज्ञान का ब्लड डोनेट करने को कहां तो वह कार्यकर्ता तुरंत ब्लड डोनेट के लिए तैयार हो गया इसके बाद उसका जांच की गई तो पाया गया की इसका ब्लड नेगेटिव है इसका ब्लड नहीं चढ़ेगा तो उस कार्यकर्ता से जांच के नाम पर एक हजार रूपये ले लिए प्रदेश अध्यक्ष द्वारा जब रूपये मांगे तो कहासुनी हो गई इसी बीच डॉक्टर रितु सक्सेना मौके पर पहुंची और समझा बुझाकर शांत किया फिर एक हजार रूपये वापस कर दिए।
मालूम हो कि 2 दिन पहले भी पीसी ब्लड बैंक पर हंगामा और मारपीट हुई थी जिसकी रिपोर्ट चार कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल किया है कि आखिरकार संभल की एकमात्र निजी ब्लड बैंक में क्या वास्तव में ब्लड के नाम पर कालाबाजारी का धंधा हो रहा है या फिर लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ब्लड बैंक को बदनाम करने में लगे हैं। इसके लिए प्रशासन को निष्पक्ष जांच करनी होगी।