‘जिसने कदम- कदम पर हमें हौसला दिया, शिकवा कभी करेंगे ना उस हमसफर से हम’

Uttar Pradesh खाना-खजाना खेल-खिलाड़ी तेरी-मेरी कहानी लाइफस्टाइल शिक्षा-जॉब

लव इंडिया, संभल। बज्म ए अब्र संभल के तत्वावधान में डॉ मुनव्वर ताबिश संभली के आवास पर दूसरी मासिक तरही शेरी नशिस्त विश्व विख्यात शायर अब्र अहसनी गुननौरी की ग़ज़ल के मिसरे (पंक्ति) “गुलजार तो ना छोड़ेंगे गुलचीं के डर से हम “पर आयोजित किया गया। जिसका शुभारंभ डॉक्टर शफीक उर रहमान शफीक बरकाती ने तरही नाते पाक से किया।

इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि संभल एमजीएम पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं उर्दू विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर आबिद हुसैन हैदरी ने कहा उर्दू अदब मैं प्रारंभ से ही तरही मुशायरो की रिवायत मिलती है संभल में यह सिलसिला बहुत दिनों से जारी है जो सराहनीय है।

हाजी रिजवान मसरुर संभली ने कहा कि बज्म ए अब्र के सौजन्य से आज यह दूसरी तरही महफिल आयोजित की जा रही है जिसके लिए विश्व विख्यात शायर का बहुत ही मशहूर मिसरा चुना गया है। जिससे पता चलता है संभल में अच्छे शेर कहने वाले शायरों की कमी नहीं है। उन्होंने कहा हमें विश्वास है कि आज का यह कार्यक्रम उर्दू साहित्य का सहयोगी साबित होंगा। इस अवसर पर अपना कलाम पेश करते हुए अराफात संभली ने कहा। अपने पराए सब से रखेंगे मोहब्बतें वादा यह करके आए हैं इक पाक घर से हम।

ताहिर हुसैन ताहिर ने कहा,पीछे नहीं हटेंगे जमाने के डर से हमगुजरेंगे एक रोज तेरी रह गुजर से हम। हकीम बुरहान संभली ने कहा,जिसने कदम कदम पर हमें हौसला दिया शिकवा कभी करेंगे ना उस हमसफर से हम ।

इरफान सबा संभली ने कहा बस यूं गुजर रहे हैं तेरी रह गुजर से हम कुछ तो सुकून पाएंगे दर्दे जिगर से हम ।मशहूर शायरा फरीदा खानम ने कहा,बच कर निकल ना पाए फरेबे नजर से हमआयें है फिर उसी जगह गुजरे जिधर से हम। शाह आलम रौनक ने कुछ इस तरह कहा,कुछ इसलिए गिरे हैं तुम्हारी नजर से हम तिल भर नहीं हटें कभी सच की नजर से हम सोशल मीडिया के जाने माने शायर मीर शाह हुसैन आरिफ ने अपने अंदाज में कहा ,महव ए जमाले यार थे शामो सहर से हम जब उनकी जुस्तजू में चले अपने घर से हम।

नौशाद हुसैन नौशाद संभली ने अपने महबूब का जिक्र कुछ इस तरह किया,क्यों मुताफिक नहीं है किसी कुजागर से हम क्या चाहते हैं फिर किसी दृसते हुनर से हम हास्य व्यंग के प्रसिद्ध शायर नौशाद अनगड ने कहा, हर बात लात मारके करती हो आजकल लगने लगे हैं क्या तुम्हें अब जानवर से हम अब्दुल कदीर जाफिर ने कहा, आए हैं जब से लौट के उनके नगर से हम महजूज हो रहे हैं अभी तक सफर से हम। फहीम साकिब संभली कुछ इस तरह कहा, जिस आईने में तेरी ही सूरत दिखाई दे लाए हैं ऐसा आईना आईना गर से हम ।मुजाहिद नादान ने कहा ,जिस पल फिर उनको देख लें अपनी नजर सेहमउस पल के इंतजार में है उम्र भर से हम ।

डॉ मुनव्वर ताबिश ने अपनी शायरी कुछ इस अंदाज में पेश की, वाबस्ता हो गए जो तेरी रह गुजर से हम रहबर लगे किसी को किसी को खिज़र से हम।शफीक बरकाती ने कहा, रोशन करेंगे अपनी शुआऔ से कुल जहां हरगिज़ न भीख मांगेंगे शमसो कमर से हम।हाजी तनवीर अशरफी ने कुछ इस तरह कहा, इस रह गुजर से हम कभी उस रह गुजर से हम गुजरे हैं बार-बार किसी की नजर से हम। बुजुर्ग शायर सुल्तान मोहम्मद खान कलीम ने कहा, खिलना तो छोड़ सकते हैं शाखे शजर से हम गुलजार तो ना छोड़ेंगे गुल चीं के डर से हम।

हिंद इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य और नशिस्त के अध्यक्ष शेख वकार रूमानी ने कहा ,डरकर जफाओं जोर से उफताद व शर से हम हरगिज़ कहीं न जाएंगे अपने नगर से हम बेखौफ होके हमने गुजारी है जिंदगी गुजरे हैं लाख बार रहे पुर खतर से हम ।कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंद इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य शेख वकार अहमद रोमानी ने जबकि संचालन शफीक उर रहमान शफीक बरकाती ने किया। कार्यक्रम के अंत में कौसैन मुनव्वर ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए ऐलान किया के जल्द ही इन तरही ग़ज़लों का एक मजमूआ मंजरे आम पर लाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *