सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता बोले-उदयपुर की घटना करने वाला व्यक्ति कुरआन का भी मुनकिर है और नबी का भी मुनकिर है

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लव इंडिया, मुरादाबाद। सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता, गज़ल अकादमी के सचिव प्रख्यात शायर कशिश वारसी ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा है कि क़ुरआन में सूरह अल-माइदा : 32 का मफ़हूम है कि ” जिसने भी किसी प्राणी की हत्या की तो समझो उसने पूरी मानवता की हत्या की, और जिसने भी जीवित रखा एक प्राणी को तो वास्तव में उसने जीवित रखा सम्पूर्ण मानवता को। निःसंदेह उनके लिए रसूल (स) स्पष्ट दलीलें लाये, जो इन हदों से आगे बढ़े वे इस्लाम के भी विद्रोही हैं।” उदयपुर की वारदात दिल को दहलाने वाली और इंसानियत को शर्मशार करने की घटना है। जिसकी पुरजोर अल्फाज में मज़म्मत और घोर निन्दा व भर्त्सना हर व्यक्ति को करनी चाहिए विदेशी साजिशों के चलते नामूस -ए- रिसालत की आड़ लेकर भारत की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया है।

सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता, गज़ल अकादमी के सचिव प्रख्यात शायर कशिश वारसी ने कहा कि पैगम्बर -ए- इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम की तौहीन को आड़ बनाकर कत्ल करना या कत्ल की धमकियां देना गैर इस्लामी अमल है । दीन- ए -हक की तबलीग के लिए पत्थरों की चोट बर्दाश्त करने वाले, इंसानियत की भलाई के लिए अपने वतन को छोड़ देने वाले आका – ए – नामदार के मानने वाले हरगिज़ – हरगिज़ किसी पर ज़ुल्म नहीं कर सकते। जब ताइफ की गलियों और बाजारों में पत्थरों की जर्ब से लहू लुहान हो जाने वाले पैग़ंबरे इस्लाम ने उन सब को दर गुज़र किया और फतेह मक्का होने के बाद जब मुसलमानों ने नारा लगाया , अल यौमल – यौमल मलहमा। यानी आज कत्ल करने का दिन है तो पैग़ंबर – ए- इस्लाम ने इस नारे को रोक कर अल यौमल यौमल मरहमा , यानी आज रहम करने का दिन है, आज माफ करने का दिन है। का नारा लगवाया । अपने ऊपर जुल्म करने वालों के लिए ऐसा नारा लगवाने वाले ,जालिमो पर रहम करने वाले अल्लाह के हबीब तमाम आलम के लिए सरापा रहमत हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम का उम्मती ख़ुद अपनी गर्दन कटवा सकता है , लेकिन किसी की गर्दन काटना उसका काम नहीं।

सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता, गज़ल अकादमी के सचिव प्रख्यात शायर कशिश वारसी ने कहा कि उदयपुर की घटना करने वाला व्यक्ति कुरआन का भी मुनकिर है और नबी का भी मुनकिर है । ऐसा व्यक्ति इस्लाम के नाम पर धब्बा है, उसने इंसानियत को ही बदनाम नहीं किया बल्कि इस्लाम को भी बदनाम किया है । उदयपुर की घटना बहुत निंदनीय घटना है।आज का नौजवान किस राह पर चल दिया है ? अल्लामा इकबाल ने कहा था कि-मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ,हिंदी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा। कुंवर महेंद्र सिंह बेदी ने कहा था , इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नही , सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नही । जो ज़ाते गिरामी रहमत उल लिल आलेमीन है , जो तमाम आलम के लिए रहमत बनकर आए । सिर्फ मुसलमानो के लिए रहमत बनकर नहीं आए , तमाम आलम के लिए रहमत बनकर आए। आज उनके मानने वाले क्या कर रहे है ? कुरान के उद्देश्य के खिलाफ काम कर रहे हैं , पैगंबर-ए- इस्लाम के बताए हुए रास्ते के खिलाफ काम कर रहे हैं , हुसैनी सोच के खिलाफ काम कर रहे है , मौलाई सोच के खिलाफ काम कर रहे है । जो किरदार रसूल अल्लाह ने पेश किया उसके खिलाफ काम कर रहे है। ऐसी वारदात की कड़ी शब्दो में निंदा होनी चाहिए अल्लाह रब्बुल आलैमीन है।

सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता, गज़ल अकादमी के सचिव प्रख्यात शायर कशिश वारसी ने कहा कि अल्लाह ने कुरान में कहा अल्लाह सब्र करने वालो के साथ है। सब्र का दामन छोड़कर , कहीं कुरान के मानने वाले कुरान के मुनकिर तो नहीं हो रहे ।अल्लाह रब्बुल आलेमिन है सिर्फ मुसलमानो का रब नही है वो तमाम आलम का रब है ये इस्लाम ने नही बताया कि हम किसी का कत्ल कर दें, या मार दें और इस तरह के घोर अपराध करें। ऐसी घटना देश की सरकार के लिए भी चिंतन का विषय है। कहीं ऐसा तो नहीं कोई विदेशी ताकत या संगठन देश के माहौल को खराब करना चाहता हो ? इस घटना की उच्च स्तरीय जांच भी होनी चाहिए और दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा भी मिलनी चाहिए। यह हर देशभक्त की जिम्मेदारी है कि वह हिंदुस्तान के माहौल को किसी भी अंदाज में खराब न होने दे । हिंदुस्तान में हिंदू , मुस्लिम , सिख, ईसाई मिलकर रहता है , हमारे किसी भी अमल से ऐसा न हो की इस देश में आग लग जाए। बल्कि हर देशभक्त की जिम्मेदारी है कि वह देश के अंदर अमन और मोहब्बत कायम रखें और सदभाव बनाए रखें।

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