मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरी बड़ा हादसा, अब तक 143 शव बरामद

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मोरबी। गुजरात के मोरबी में हुए केबल ब्रिज हादसे में मृतकों की संख्या लगातार बढती जा रही है। आज सुबह साढे सात बजे तक 143 लोगों के इस हादसे में मरने की पुष्टि हुई है। बचाव कार्यों के दौरान लगातार नदी से लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है। मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरी बड़ा हादसा है। 11 अगस्त को 1979 में मच्छू नदी का डैम टूटने पर 1,800-25,000 लोगों की मौत हुई थी। पूरे देश को दहलाने वाले इस हादसे के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अधिकतर कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं, उनके आज मोरबी जाने की संभावना जताई जा रही है। उधर, इस हादसे के जिम्मेदारों पर भी कार्यवाही तेज हो गई है। इस संबंध में पुल की मैनेजमेंट कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है।

गुजरात के मोरबी में रविवार शाम करीब साढे छह बजे हुए केबल ब्रिज हादसे में मृतको की संख्या लगातार बढती जा रही है। आज सुबह सात बजे तक मृतकों की संख्या 143 होने की सूचना है। बताया जा रहा है कि बचाव कार्य के दौरान अब भी लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है। मच्छु नदी में बचाव कार्य मे सेना की मदद ली जा रही है, जबकि एसडीआरएफ के साथ एनडीआरएफ की टीमें बीती रात से ही लगी हुई हैं।

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष संघवी देर रात तक घटनास्थल पर मौजूद रहे। आज दोपहर तक रेस्क्यू का काम पूरा होने का अनुमान है। बचाव के काम केंद्रीय एजेंसियों के साथ फायर ब्रिगेड, कोस्ट गार्ड, गरुड़ कमांडो और नेवी की मदद ली जा रही है। हादसे में मरने वालों में ज्यादातर मोरबी और आसपास के निवासी हैं।

गुजरात के तीन दिन के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरबी जा सकते हैं। पीएम के कई कार्यक्रमों को रद्द किया गया है। पीएम मोदी इस हादसे को लेकर लगातार मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल में संपर्क में हैं। बीजेपी ने अपने तमाम कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। 1 नवंबर को गांधीनगर में होने वाले पेज समिति प्रमुखों के दिवाली मिलन समारोह को रद्द कर दिया गया है। कांग्रेस ने भी 31 अक्तूबर से शुरू हो रही प्रदेश व्यापी परिवर्तन संकल्प यात्रा को स्थगित कर दिया है, हालांकि यात्रा के लिए गुजरात पहुंच रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के मोरबी जाने का कार्यक्रम है।

इस बीच मोरबी के दर्दनाक हादसे की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया है। इस पांच सदस्यीय दल में आर एंड बी के सचिव संदीप वसावा, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, चीफ इंजीनियर के एम पटेल के साथ डॉ. गोपाल टांक को रखा गया है। यह विशेष जांच टीम हादसे के कारणों का पता लगाएगी। मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरी बड़ा हादसा है। 11 अगस्त को 1979 में मच्छू नदी का डैम टूटने पर 1,800-25,000 लोगों की मौत हुई थी।

मोरबी हादसे को लेकर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसमें आईपीसी की 304, 308, 114 लगाई गई हैं। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी। मोरबी के इस ऐतिहासिक पुल को हाल ही में ओरेवा नाम की कंपनी ने लिया था। टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को अगले 15 सालों तक इस पुल का रखरखाव करना था। कंपनी ने सात महीने की मरम्मत के बाद इस 26 नंवबर को लोगों के लिए खोला था। पांच दिन बाद 30 अक्तूबर की शाम साढ़े छह से सात बजे के बीच पुल हादसे का शिकार हो गया।

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