भय प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी: धीरशान्त

तीज-त्यौहार


  लव इंडिया,मुरादाबाद। श्रीशिव मन्दिर, गायत्री नगर  में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में विश्व हिन्दू परिषद्, मठ-मन्दिर विभाग प्रमुख कथा व्यास श्रीमन् धीरशान्त दास’अर्द्धमौनी’ने बताया कि अखिल ब्रह्माण्ड को विश्राम देने हेतु भगवान श्रीराम ने इस धरा धाम पर अवतार लिया।
    भगवान श्री राम के अवतरण पर तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा की एवं मंगल बधाई दी। भय प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी।
     

विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिये हर युग में अवतार धारण किये। जिस दिन भगवान श्री हरि ने राम के रूप में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया वह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन था। यही कारण है कि इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का भी यह अंतिम दिन होता है।
उनके अनुसार भगवान राम त्रेता युग में अवतरित हुए। उनके जन्म का एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना, मानव समाज के लिये एक आदर्श पुरुष की मिसाल पेश करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। यहां धर्म का अर्थ सतसनातन   आदर्श कल्याणकारी समाज की स्थापना से है।
     राजा दशरथ जिनका प्रताप दशों दिशाओं में व्याप्त रहा। तीन-तीन विवाह उन्होंने किये थे लेकिन किसी भी रानी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऋषि मुनियों से जब इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के पश्चात यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया। कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा कैकेयी को दिया इसके पश्चात कौशल्या और केकैयी ने अपने हिस्से से आधा-आधा हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इसीलिये चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम जन्मे। कैकेयी से भरत ने जन्म लिया तो सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया। 


     भगवान श्री राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की संज्ञा दी जाती है। वे स्त्री पुरुष में भेद नहीं करते। अनेक उदाहरण हैं जहां वे अपनी पत्नी सीता के प्रति समर्पित व उनका सम्मान करते नजऱ आते हैं। वे समाज में व्याप्त ऊंच नीच को भी नहीं मानते। शबरी के झूठे बेर खाने का उदाहरण इसे समझने के लिये सर्वोत्तम है। वेद शास्त्रों के ज्ञाता और समस्त लोकों पर अपने पराक्रम का परचम लहराने वाले, विभिन्न कलाओं में निपुण लंकापति रावण के अंहकार के किले को ध्वस्त करने वाले पराक्रमी भगवान श्री राम का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। इस दिन भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन हुआ। श्री राम स्त्रोत का पाठ करके, भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया।
    व्यवस्था में ध्यान सिंह सैनी, ममता सैनी, राजकुमार सैनी, कमल सैनी, सरजीत सैनी, कामिनी सैनी, मनोज सैनी, दिनेश सैनी, दीपक सैनी, विजय सिंह, सन्तलाल, गंगा सिंह पाल, अनिल पाल, सुमित अग्रवाल, ओमप्रकाश शर्मा, सुन्दर लाल भटनागर, नीतू सिंह, सुधा शर्मा, किरन सिंह, सपना चौधरी, अभिलाषा कपूर, अनुराधा खुराना, अनिल चौहान आदि ने सहयोग दिया।

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