पेटेंट्स और रिसर्च पेपर्स के प्रति जागरुकता बेहद जरूरी

शिक्षा-जॉब

प्रो.श्याम सुंदर भाटिया,मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन नेे बतौर मुख्य अतिथि कहा कि पेटेंट्स और रिसर्च पेपर्स के प्रति जागरुकता बेहद अनिवार्य है, क्योंकि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी यानी रिसर्च और पेटेंट का दुरूपयोग या अधिकारों का हनन हो सकता है। ऐसे में छात्रों के लिए यह वेबिनार बहुत जरूरी है। उन्होंने पब्लिक डिस्क्लोजर को विस्तार से समझाया। साथ ही पब्लिश और पेरिश पर भी प्रकाश डाला।

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोेथेरेपी और केंद्र सरकार के सेल फॉर आईपीआर प्रमोशन एंड मैनेजमेंट-सीआईपीएएम की ओर से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन रिसर्च और पेटेंट पर वर्चुअली वेबिनार

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डॉ. जैन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोेथेरेपी और केंद्र सरकार के सेल फॉर आईपीआर प्रमोशन एंड मैनेजमेंट-सीआईपीएएम की ओर से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन रिसर्च और पेटेंट पर आयोजित वर्चुअली वेबिनार में बोल रही थीं। क्रॉफोर्ड एंड कंपनी, मुम्बई के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रैक्टिस हेड श्री हेमंत थडानी बतौर मुख्य वक्ता इस वेबिनार में ऑनलाइन मौजूद रहे। इससे पूर्व डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथेरेपी की प्राचार्या डॉ. शिवानी एम. कौल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। वेबिनार के दौरान सवाल-जवाब का दौर भी चला। संचालन फिजियोथेरेपी विभाग की फैकल्टी उज्मा सय्यद ने किया।

डॉ. मंजुला ने रिसर्च के प्रैक्टिकल पहलुओं पर ध्यान देने को भी कहा। साथ ही बोलीं कि रिसर्च और पेटेंट की सुरक्षा करना भी उतनी ही ज़रूरी है, जितनी उसकी रचना करना। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के दिशा-निर्देश के अनुसार इस तरह के प्रोग्राम तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का नाम रोशन करते हैं। डॉ. जैन ने इंनोवेशन और क्रिएटिविटी बढ़ाने पर जोर डालते हुए कहा, आज के समय में पेटेंट्स और रिसर्च पब्लिकेशन दोनों ही अपनी-अपनी जगह बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। यूनिवर्सिटी और सरकार इस तरह के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की रचना पर वित्तीय सहायता भी देती है।


ख़ास बातें
पेटेंट्स और रिसर्च पब्लिकेशन दोनों ही महत्वपूर्णः डॉ. मंजुला जैन
हेमंत थडानी ने बताए पेटेंट्स और रिसर्च पेपर्स के स्टेप्स
फिजियोथेरेपी की प्राचार्या डॉ. शिवानी ने सभी को कहा शुक्रिया

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बतौर मुख्य वक्ता क्रॉफोर्ड एंड कंपनी, मुम्बई के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रैक्टिस हेड श्री हेमंत थडानी ने टिप्स दिए कि हम प्रोडक्ट्स और प्रोसेसेज को पेटेंट कैसे करा सकते हैं। उन्होंने पीपीटी के माध्यम से यह भी समझाया कि कौन-कौन से आविष्कार पेटेंटेबल होते हैं और कौन से आविष्कार पेटेंट नहीं किए जा सकते। पेटेंट के कॉमर्शियलाइज़ेशन, रिकग्निशन और प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से बताया। फिजियोथेरेपी का उदाहरण देते हुए समझाया कि हम किन शब्दकोष की मदद से प्रायर आर्ट सर्च कर सकते हैं। उन्होंने बेसिक पेटेंट प्रोसेस के बारे मे बताते हुए कहा कि कैसे एक व्यक्ति अपने आइडिया को पेटेंट का रूप दे सकता है।

उन्होंने दो प्रकार के एप्लीकेशन प्रोसेस के बारे में बताया, साथ ही एप्लीकेशन पब्लिकेशन, रिजेक्शन या एक्सेप्टेन्स के बारे में विस्तार से समझाया। वेबिनार में फैकल्टी- डॉ. फरहान खान, अंकिता सक्सेना, कोमल नागर, प्रिया शर्मा आदि भी उपस्थित रहे। अंत में फिजियोथेरेपी विभाग ने सीआईपीएएम की असिस्टेंट मैनेजर दृष्टि खुराना का भी शुक्रिया अदा किया।

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